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गाजीपुर – आईबीएन इक्सक्लूसिव: सामने आया झूठ का पुलिंदा प्राचीन काल से रिकार्डो में मौजूद है बाबा कीनाराम की तपोस्थली चीतनाथ की बौड़हिया शक्तिपीठ

टीम आईबीएन न्यूज

गाजीपुर: बाबा कीनाराम की तपोस्थली व महर्षि विश्वामित्र की जन्मस्थली बौड़हिया शक्तिपीठ का इतिहास प्राचीन काल का है। इसकी जानकारी सिर्फ आई0बी0एन0 न्यूज के पास है। यही नही इस समाज की पूरी वंशावली व औघड़ समाज का इतिहास साफ हो गया है। इस जानकारी के बाद गाजीपुर जिले में मौजूद शक्तिपीठ के नाम पर फर्जी कमेटी बनाकर कब्जा करने व इसे व्यवसायिक इस्तेमाल करने की मंशा पालने वाले अराजक तत्वों की गर्दन फसती नजर आ रही है। इस जर्जर शक्तिपीठ को लाखों की लागत से रमणीय बनाने वाले सर्वेश्वरी समूह की ओर से भी संज्ञान लिया गया है। साथ ही मौके पर की गयी मनमानी को भी संत अनिष्ट की आंशका बता रहे है।

जानकारी के अनुसार गाजीपुर जिला मुख्यालय के चीतनाथ इलाके में गंगा तट से सटी हुई महर्षि विश्वामित्र की जन्मस्थली पर ही अवधूत भगवान कीनाराम ने अपनी धुनि रमाई थी। यहॅा तक कि राम और लक्ष्मण भी यहॅा एक रात्रि का प्रवास तब किये थे जब वह बक्सर में ताड़का का वध करने आये थे। जर्जर हो चुकी इस मठ को सजाने व रमणीय बनाने का काम सर्वेश्वरी समूह के भक्तो ने 5 सालों में किया। मौजूदा समय में मठ दमक रहा है। इसी बीच स्थानीय इलाके के कुछ अराजक तत्वों ने एक फर्जी कमेटी बनाकर इस मठ का अपने आप को स्वयंभू मालिक घोषित कर दिया और रमणीय मठ के प्रांगण को शादी विवाह व अन्य आयोजनो के लिये बुक करने लगे। मठ पुजारी विहीन है इसका लाभ उठाकर मठ के गेट पर ताला लगा दिया गया है। स्थानीय लोगों की माने तो मठ को कब्जा करने के लिये बनाई गयी कमेटी के किसी सदस्य ने कोई सहायता अभी तक मठ के निर्माण आयोजन व रंगाई पुताई कभी नही किया है। इस बात की शिकायत लोगो ने जब पूर्व जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह से किया तो उन्होनें मामले को गंभीरता से लेते हुए पहले तो पीठ मे सीसी टीवी कैमरा लगवा दिया और कमेटी बताने वाले लोगों को हिदायत देकर वापस कर दिया।

जबकि इसी शिकायत पर मौजूदा एस0डी0एम0 सदर ने दोषियों को कड़ी चेतावनी देते हुए इस पौराणीक सिद्धपीठ को सरकार व औघड़ समाज की धर्मस्थली बताते हुए अलग रहने को कहा। पीठ के बारे में जानकारी जुटाते हुए जब आईबीएन न्यूज की टीम ने डा0 ब्रहमचारी शास्त्री की लिखी गयी किताब संत मत का सरभंग सम्प्रदाय का अध्ययन किया तो पता चला कि इनकी वंशावली ही बौड़हिया को अपना बताने वाली कमेटी से मेल नही खाती। उस किताब में कालू राम अघोरी की वंशावली के बारे में साफ लिखा है कि उनके शिष्य कीनाराम जी थे और गाजीपुर जिले में गंगा तट के किनारे बौडहिया बाबा मठ भी स्थित है जहंा उनकी धूनी जमती थी। साथ-साथ 1857 में अरबी भाषा मे लिखे गये रिकार्डो का जब उर्दू व हिन्दी अनुवाद कराया गया तो उसमे भी बौड़हिया बाबा ही लिखा है तो समिति का कहॅा से आ गयी इस बात को लेकर जिले भर में जोरदार चर्चा है।

राकेश की रिपोर्ट

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