त्रिवेणी सरोवर में स्नान कर मंगल कामना की घाट पर पूजा अर्चना व दीप दान किया
बीगोद– शुक्रवार को घरों में देव उठनी ग्यारस पर्व ओम नमो भगवते वासुदेव मंत्रोचार जाप, पूजा अर्चना, आरती कर देव उठनी ग्यारस हर्षोल्लास उत्साह पारंपरिक तरीके से मनाई गई।
इस दौरान घर के मुख्य द्वार पर देवउठनी बनाकर गेहूं रखकर , पताशे ,मूली, सिघाडा, फल , टाफी खीले, मिठाई, हलवा, गन्ने, रोली, लच्छा, अक्षत, पुष्प, धूप, गाय का दीपक लगाकर देव उठनी के ऊपर परात ढककर स्वास्तिक चिन्ह बना कर शाम को सूर्य अस्त होने पर एक लोटा जल लेकर दिया जलाकर सभी परिवार के सदस्यों का नाम लेकर विष्णु भगवान से प्रार्थना कर ओम नमो भगवतो मन्त्र का उच्चारण कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की।
चार महीने से चिर निंद्रा से भगवान विष्णु जागने के उपरांत देवउठनी ग्यारस पावन पर्व मनाया जाता । मांगलिक कार्य भी इसी दिन शुरू हो गये। इस दिन सरोवर स्नान शुरू होता जो पाच दिन तक चलता जिस दौरान त्रिवेणी संगम सरोवर महिलाओं ने स्नान कर, सूर्य देव को जल अपिर्त कर परिक्रमा कर सरोवर में दीप दान कर कबूतरों को दाना, मच्छियो को आटा, गायो को हरा चारा डालकर दान पुण्य किया यह सिलसिला सुबह से शुरू हुआ जो पूरे दिन तक जारी था पंडितों ने यज्ञ हवन व दान किये।
इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया। घरों के बाहर आतिशबाजी का मजा लिया। ग्यारस को लेकर चारभुजा मंदिर में अभिषेक विशेष श्रंगार कर मूर्ति को पौशाक धरायी व आरती की। इस दौरान महिलाओं ने भजन कीर्तन व नृत्य किया। (फोटो कैप्शन- 1- घरों के बाहर देवउठनी बनाकर पूजा करते
2- त्रिवेणी संगम सरोवर में महिलाएं पुरुष स्नान करते)
फोटो प्रमोद कुमार गर्ग