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श्रद्धा के साथ मां भंडारी, डोली पर सवार होकर अपने मायके राजा कर्णपाल ¨सह के पहाड़ से अपने मुख्य मंदिर पहूंची

 

डोली पर सवार मां का जगह-जगह हवन के साथ पूजन किया गया। इसके साथ मां भंडारी देवी पहाड़ पर पहुंचीं जहां मां को विधि-विधान के साथ मंदिर में स्थापित किया गया।

मां भंडारी देवी का डोला जिस खेत से होकर जाती हैं उस खेत में अधिक उपजाऊ होने लगती हैं

मीरजापुर। मां भंडारी देवी डोली पर सवार होकर अपने मायके राजा कर्णपाल सह के पहाड़ से अपने मुख्य मंदिर के लिए चल पड़ीं। डोली पर सवार मां का जगह-जगह हवन के साथ पूजन किया गया। इसके साथ मां भंडारी देवी पहाड़ पर पहुंचीं जहां मां को विधि-विधान के साथ मंदिर में स्थापित किया गया। 30 जुलाई दिन मंगलवार को मां का डोला लाने के लिये सुबह से ही अहरौरा डीह स्थित शायर देवी मंदिर पर श्रद्धालु जुटने लगे। यहां से विधिवत हवन-पूजन कर लोग सीयुर गांव के दक्षिण तरफ स्थित राजा कृपाल बाबा के पहाड़ी पर गये। वहां कहार प्रेमचंद, बबलू राम सेवक, एवं चंदन द्वारा डोली तैयार की गयी। इसके बाद दर्शनार्थी सुक्खू बाबा विश्वकर्मा द्वारा लगभग चार घंटे तक पूजन-अर्चन करने के बाद मां को तैयार किया गया और डोली में बिठाया गया। फिर कहारों के साथ पुजारी जयप्रकाश पांडेय, अजय पाण्डेय एवं अशोक अग्रहरि, विनय गुप्ता, शिशिर पाण्डेय, विष्णु चौबे के साथ हजारों की संख्या मे भक्त मां का जयकारा लगाते हुए डोला लेकर चल पड़े। जगह-जगह रास्ते मे प्रसाद व भंडारे का आयोजन था।

पहला पड़ाव

मां का डोला जब राजा कर्ण पाल ¨सह के पहाड़ से चल कर नीचे आया तो सीयुर गांव के दक्षिण एव पहाड़ के नीचे खेत में डोला रखा गया और वहां महिलाओं ने धार देकर पूजा-अर्चना कीं। फिर वहां से डोला कहार लेकर आगे बढ़ गए।

दूसरा पड़ाव –

यहां से डोला चलकर भगवानपुर गांव में नीम के पेड़ के पास जाकर रुक गया और यहां भी हवन-पूजन किया गया।

तीसरा पड़ाव –

यहां से डोला उठाकर कहार जुड़ई बगीचे के पास आए और यहां भी पूजन-अर्चन किया गया। फिर कई जगह पूजन-अर्चन के बाद मां का डोला देर शाम शायर देवी मंदिर पर अहरौरा डीह पहुंचा। यहां देर रात तक हवन-पूजन के बाद फिर कहार डोला लेकर चल दिए और मां के मंदिर पहुंचे।

मां के सवार होने पर वजन हो जाता है डोला

अहरौरा डीह निवासी संदीप पांडेय ने बताया कि राजा बाबा के पहाड़ पर जब दर्शनिया पूजन-अर्चन के बाद मनवना कर डोली में बिठाते हैं तो डोली का वजन अपने आप बढ़ जाता है।

भक्तों की रहती है भारी भीड़

भंडारी देवी का डोला प्रत्येक तीसरे वर्ष राजा कर्णपाल ¨सह के पहाड़ से आता है। मां अपने मंदिर से कब वापस जाती हैं, यह कोई नहीं जानता लेकिन उनको पुन: मंदिर में लाने के लिये तीसरे वर्ष भक्त गाजे-बाजे के साथ जाते हैं और लाखों श्रद्धालु इसके साक्षी बनते हैं। इसी बीच रास्ते में श्रद्धालु नाचते गाते चलते हैं।

पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था की चाक चौबंद रही

क्षेत्र के डीह पर स्थित शायर माता मंदिर पर सुबह से ही थाना प्रभारी निरीक्षक बृजेश सिंह मय पुलिस पीएसी फोर्स के साथ डोला के साथ-साथ चलते रहे। वही सीयूर से दोपहर दो बजे मां के डोला के साथ पुलिस फोर्स, भण्डारी देवी के लिए रवाना ही गए। इस सुरक्षा व्यवस्था में अहरौरा थाना सहित आस पास के कई थानों के थाना प्रभारी मौजूद रहे।

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