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पंडितों द्वारा दुर्गासत्मी मंन्त्रोचार पाठ के साथ हवन की पूर्णाहुति भस्मी त्रिवेणी प्रावहित होगी

 

मुख्य कलश बोली 5 लाख 25 मे छूटी कमेटी स्वागत सत्कार किया

बिसाजन मन्दिर निर्माण को लेकर कथा मे सर्वसमाज सहयोग लाखों रुपये सहयोग दिया

बीगोद– भागवत कथा के अंतिम दिन पंडितों द्वारा बिजासन माता मंदिर में 15 जोड़ो के साथ दुर्गा सप्तशती मंत्रोचार पाठ के साथ हवन की पूर्णाहुति कार्यक्रम हुआ इस कार्यक्रम की हवन भस्मी त्रिवेणी संगम मे सोमवार को ढोल नगाड़ों की धून पर भक्त जनो द्वारा पैदल पहुचकर की जायेगी। कथा के दौरान मुख्य कलश की बोली जगदीश जाट द्वारा 5 लाख 25000 हजार की बोली छूटी और माताजी के ध्वज की बोली 81000 हजार और माताजी के घंटे की बोली 51000 लगी।

इस दौरान बिजासन मन्दिर निर्माण को लेकर कथा के दौरान सर्वसमाज के भामशाहो ने बढचढकर लाखों रूपयो का दान दिया। भागवत कथा के सातवें दिन हमारे ज्ञान निरंजन जी आश्रम के महामंडलेश्वर जगदीश पुरी जी महाराज ने मानपुरा बिजासन शक्तिपीठ 12 खेड़ा के तत्वाधान में समापन के दिन भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रशन बड़े मार्मिक ढंग से बताया प्रसंग में बताया कि सुदामा का चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा अर्थात निस्वार्थ समर्पण की असली मित्रता का बखान किया गया मित्रता कैसे निभाया यह भगवान श्रीकृष्ण सुदामा जी समझ सकते हैं उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र सखा से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे तो द्वारपालों ने सुदामा को दिखता मांगने वाला समझकर रोक लिया तब उन्होंने कहा कि और कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल घर में गए और प्रभु से कहा कि कोई आपसे मिलने आया है अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे द्वारपाल किए हुए थे उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा करते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कह कर उन्होंने अपने गले से लगाया और सुदामा को मेल में ले गए उनका अभिनंदन किया इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा कर नृत्य किया इस दौरान पंडाल खचाखच भरा हुआ था।

कथा के समापन पर भागवत भगवान को भक्त जनों ने अपने सिर पर धारण कर ढोल नगाड़े के साथ विदा किया। बिजासन माता मंदिर निर्माण कमेटी व भागवत कथा में सहयोग देने वाले भक्तजनों का भी आदर सत्कार कर सम्मान किया गया ।

(फोटो कैप्शन–1- प्रधान कलश के साथ मुख्य यजमान
2- पंडितों द्वारा दुर्गासप्तमी आहुतियां देते यजमान
3– कृष्ण भगवान अपने सखा मित्र सुदामा को मुख्य द्वार से लेकर आते)
फोटो-प्रमोद कुमार गर्ग

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