संग सती संघ जग जननी भवानी, पुजे रिषि अखिलेश्वर जानि।
दूसरे दिन रामकथा में शिव पार्वती विवाह के साथ हुआ सम्पन्न
मीरजापुर। अहरौरा नगर के राधा कृष्ण मंदिर सत्यानगंज चल रहे नौ दिवसीय में श्रीराम कथा के दुसरे दिन आचार्य शांतनु जी महाराज ने श्रीराम कथा में अपने मुखारविंद से कहा कि एक बार त्रेता जुग माही शंभु गए कुंभज रिषि पाई।
संग सती संघ जग जननी भवानी, पुजे रिषि अखिलेश्वर जानि। अर्थात एक बार भगवान भोलेनाथ स्वयं राम कथा सुनने के लिए अकेले नहीं गए संघ में सति को लेकर पहुंचे तब कुभज रिषी के पास जाते हैं कथा सुनने के बाद दर्शन की अभिलाषा जागृत होती है, भगवान शिव के मन में यह बात आई की कही मेरी पोल ना खुल जाए कही रावण के मन में यह ना बात बैठ जाए की मेरे इष्ट किसको प्रणाम कर रहे हैं।
इसलिए वह कथा सुनकर कुंभज रिषि को दक्षिण देकर बट वृक्ष के निचे बैठ जाते हैं माता सती ने तर्क किया और साक्षात ब्रम्ह होने के प्रमाण के लिए सम्मुख नकली रूप बनाया माता जानकी का बनाया और भगवान जान गये की माता पार्वती जी खुद आई है।
भगवान श्रीराम ने कहा, माता, भगवान भोलेनाथ ने कहा है। तब माता पार्वती चल पड़ी कैलाश पर्वत, भगवान शिव ने कहा परिक्षा ले लिया गया है माता ने कहा प्रभु मैंने कोई परिक्षा नही ली माता पर्वती के कार्य को मन में शिव जी ने अंत मन से ध्यान लगाया तो माता सति के इस कार्य को देखकर नाराज़गी व्यक्त करने लगे और कहा इतना संकल्प ले लिया अब हमारा तुम्हारा मिलन इस शरीर से नहीं होगा और सत्तासी हजार वर्ष के लिए समाधि में लीन हो गए और राजा दक्ष को पद मिला यज्ञ कराया जप कराया सभी को निमंत्रण मिला मगर अपने पुत्री और दमाद को नहीं बुलाया। सारे लोग प्रजापति दक्ष के यज्ञ में माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा पिता जी के यज्ञ में चलना है भगवान शिव ने कहा कोई निमंत्रण नहीं भेजा है, फिर भी माता पार्वती अपने पिता के यज्ञ में गई और वहा जाकर देखा तो सारे देवताओं का सिंघासन लगा है ब्रह्मा विष्णु का हैं मगर अपने महेश के स्थान को देखकर नाराज हो गई और अपने दाहिने पैर के अंगुठे को पृथ्वी में दबा देती है और पृथ्वी में अपने आप को पति के सम्मान के लिए सति होने का निर्णय ले लिया। 84 हजार वर्ष तप के बाद पुनः माता पार्वती जी को भगवान शिव का वरदान प्राप्त हुआ और माता पार्वती व भगवान शिव का विवाह हुआ संपन्न। वही ॐ नमः शिवायः के लगे नारे पुरा पंडाल परिसर गूंज उठा।
उसी दौरान महाराज जी ने
सहपत्नी संजय भाई पटेल और सोहन लाल श्रीमाली (उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग, उपाध्यक्ष, राज्य मंत्री) को माला पहनाकर भव्य स्वागत किया। वही संचालन आशीष पाण्डेय ने किया। इस दौरान रामायणयम समिति के सरंक्षक राजकुमार अग्रहरि, सुरेश जायसवाल, अशोक अग्रहरि, कमलेश केशरी, हनुमान दास जायसवाल, अजय गुप्ता, संजय मौर्या, सिद्धार्थ अग्रहरि, विजय अग्रहरि, दिनेश मोदनवाल और अध्यक्ष दिग्विजय सिंह, महामंत्री जितेंद्र अग्रहरि, उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, शिवदर्शन सिंह, डॉ. शरद चन्द्र श्रीवास्तव, रिंकू श्रीवास्तव, अमन कक्कड़, शिखर सिंह, अभय प्रताप सिंह, त्रिलोकी केशरी, संदीप पांडेय, रिंकू मोदनवाल, बादल पाण्डेय, उदय अग्रहरि के साथ सैकड़ो रामभक्त उपस्थित रहे।