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राष्ट्रीय प्रेस दिवस-मीडिया समाज का दर्पण

 

फरीदाबाद से खुशी वत्स की रिपोर्ट

फरीदाबाद:राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन आई टी तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया। जूनियर रेडक्रॉस और ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एंव पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। परिणाम स्वरूप चार जुलाई 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई जिसने 16 नंवबर 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। पत्रकारिता का क्षेत्र व्यापक हो गया है।

पत्रकारिता जन-जन तक सूचनात्मक,शिक्षाप्रद एवं मनोरंजनात्मक संदेश पहुंचाने की कला एंव विधा है। समाचार पत्र एक ऐसी उत्तर पुस्तिका के समान है जिसके लाखों परीक्षक एवं अनगिनत समीक्षक होते हैं। अन्य माध्यमों के भी परीक्षक एंव समीक्षक उनके लक्षित जनसमूह ही होते है तथ्यपरकता, यथार्थवादिता,संतुलन एंव वस्तुनिष्ठता इसके आधारभूत तत्व है। परंतु इनकी कमियां आज पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत बड़ी त्रासदी साबित होने लगी है। पत्रकार चाहे प्रशिक्षित हो या गैर प्रशिक्षित,यह सबको पता है कि पत्रकारिता में तथ्यपरकता होनी चाहिए। परंतु तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर,बढ़ा-चढ़ा कर या घटाकर चटपटी बनाने की प्रवृति आज पत्रकारिता में बढ़ने लगी है।

विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि मीडिया को समाज का दर्पण एवं दीपक दोनों माना जाता है। इनमें जो समाचार मीडिया है,चाहे वे समाचारपत्र हो या समाचार चैनल उन्हें मूलतः समाज का दर्पण माना जाता है। दर्पण का कार्य है समतल दर्पण के रूप में काम करना ताकि वह समाज की हू-ब-हू आकृति समाज के सामने प्रस्तुत कर सकें। परंतु कभी-कभी निहित स्वार्थों के कारण ये समाचार मीडिया समतल दर्पण का जगह उत्तल या अवतल दर्पण के प्रकार का कार्य करने लग जाते हैं। इससे समाज की उल्टी,अवास्तविक, काल्पनिक एवं विकृत तस्वीर भी सामने आ जाती है।

प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि इन सभी सामाजिक बुराइयों के लिए मात्र मीडिया को दोषी ठहराना उचित नहीं है। जब गाड़ी का एक पार्ट टूटता है तो दूसरा पार्ट भी टूट जाता है और धीरे-धीरे पूरी गाड़ी बेकार हो जाती है। समाज में कुछ ऐसी ही स्थिति लागू हो रही है। समाज में हमेशा परिवर्तन आता रहता है। विकल्प उत्पन्न होते रहते हैं। ऐसी अवस्था में समाज अमंजस की स्थिति में आ जाता है। इस स्थिति में मीडिया समाज को नई दिशा देता है। मीडिया समाज को प्रभावित करता है फिर भी कभी-कभी प्रकारेण मीडिया समाज से प्रभावित होने लगता है। इस अवसर पर अपना वक्तव्य रखने पर प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने सभी छात्राओं और प्राध्यापिका सविता को भी सम्मानित किया।

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