फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट
फरीदाबाद:शहर में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में अग्रणी मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद घुटना रिप्लेसमेंट के लिए सबसे एडवांस्ड रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी के अभ्यास के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर गर्व करता है।
5 डी रोबोटिक तकनीक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के तरीके में बड़ा बदलाव ला रही है और मरीजों को बेहतर सटीकता प्रदान करने,जल्द से जल्द रिकवरी करने तथा समग्र परिणाम में मदद कर रही है।ऑर्थोपेडिक्स विभाग का नेतृत्व डॉ.अनुराग अग्रवाल,डायरेक्टर एवं एचओडी-ऑर्थोपेडिक्स एवं घुटना रिप्लेसमेंट सर्जरी करते हैं।रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी,5 डी रोबोटिक तकनीक से की जाने वाली आर्थोपेडिक सर्जरी में बड़ा बदलाव ला रही है और आर्थोपेडिक केयर में,विशेष रूप से घुटने के रिप्लेसमेंट की आवश्यकता वाले रोगियों के लिए,एक महत्वपूर्ण एडवांसमेंट (सुधार) को पेश करती है।
यह अत्याधुनिक तकनीक सर्जन को अनूठी सटीकता के साथ प्रक्रियाएं करने की अनुमति देती है,जो जॉइंट एलाइनमेंट (ठीक से बिठाना) और इम्प्लांट रिप्लेसमेंट के लिए महत्वपूर्ण है। रोबोटिक सिस्टम का उपयोग करके,सर्जन सर्जरी की योजना बना सकते हैं और सर्जरी इतनी सटीकता के साथ कर सकते हैं कि जटिलताओं का जोखिम काफी कम हो जाता है और इम्प्लांट भी लंबे समय तक चलता है।
डॉ.अनुराग अग्रवाल,डायरेक्टर एवं एचओडी-ऑर्थोपेडिक्स एवं घुटना रिप्लेसमेंट सर्जरी,मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद कहते हैं,रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी के बहुत लाभ हैं। ये सिस्टम सर्जनों को बेहतर सटीकता (गलती की गुंजाइश नहीं होती) प्रदान करते हैं और उन्हें अत्यधिक सटीक कट लगाने तथा प्रत्येक मरीज की अनूठी शारीरिक रचना के अनुरूप सटीकता के साथ प्रत्यारोपण करने में सक्षम बनाते हैं।
- सटीकता की वजह से एलाइनमेंट और पोजिशनिंग सही होती है जो जॉइंट रिप्लेसमेंट की सफलता एवं लंबे समय तक बने रहने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सर्जरी से पहले,सर्जन मरीज के जोड़ के एडवांस्ड इमेजिंग तकनीक के माध्यम से बने 3डी मॉडल का उपयोग करके मरीज की बीमारी के अनुसार सर्जिकल योजना बनाते हैं।
- यह मॉडल सर्जिकल टीम को मरीज की खास शारीरिक रचना के अनुरूप प्रक्रिया को तैयार करने की अनुमति देता है जो सर्वोत्तम संभव परिणाम सुनिश्चित करता है। डॉ.अनुराग अग्रवाल कहते हैं“रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी में अक्सर मिनिमली इनवेसिव तरीका का उपयोग किया जाता है,जिसमें छोटे चीरे लगाए जाते हैं।
- इससे टिश्यू का कम नुकसान होता है,ब्लड लॉस कम होता है,रिकवरी जल्दी होती होता है,दर्द कम होता है,मरीज को हॉस्पिटल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है और मरीज कुछ ही दिनों में अपनी दैनिक क्रियाओं को तेजी से करना शुरू कर देता है। अध्ययनों से पता चला है कि पारंपरिक तरीके से सर्जरी कराने वालों की तुलना में रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी कराने वाले मरीजों को बेहतर एलाइनमेंट,कम जटिलताओं और अधिक संतुष्टि का अनुभव होता है।
- मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद में,विशेषज्ञ सर्जनों के नेतृत्व में,अत्यधिक कुशल आर्थोपेडिक सर्जनों की टीम को आधुनिक रोबोटिक-असिस्टेड तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया है ताकि मरीजों को उच्चतम स्तर की मिल सके। हमारे ऑर्थोपेडिक्स विभाग में रोबोटिक तकनीक को शामिल करना,रोगियों के परिणामों में सुधार के लिए मेडिकल तकनीक में एडवांसमेंट को अपनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दिखता है। सत्यम धीरज फैसिलिटी डायरेक्टर कहते हैं,“मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स गुरुग्राम में पहले ही रोबोट की सहायता से घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने वाले मरीजों की कई सफलता की कहानियां सामने आ चुकी हैं। इन मरीजों ने चलने-फिरने में महत्वपूर्ण सुधार,दर्द में कमी तथा अपनी सामान्य एक्टिविटीज में तेजी से वापसी की बात कही है।
- एक सर्जन के लिए असली संतुष्टि तब होती है जब उसके द्वारा इलाज किया गया मरीज बिना किसी सहारे के अपने पैरों पर चलकर जांच के लिए आता है। रोबोटिक सर्जरी की सिफारिश आमतौर पर गंभीर रूप से बीमार ऐसे मरीजों के लिए नहीं की7 जाती है,जिन्हें इमरजेंसी सर्जरी की आवश्यकता हो या जो किसी ट्रामा से पीड़ित हों। कई बिमारियों से ग्रस्त मरीज भी रोबोटिक सर्जरी नहीं करा सकते हैं। इसके अतिरिक्त,गंभीर हड्डी की कमजोरी वाले व्यक्तियों को रोबोटिक प्रक्रियाओं से बचना चाहिए,क्योंकि उनकी हड्डियां सर्जरी प्रक्रिया को झेलने में सक्षम नहीं हो सकती हैं। इन मामलों में नुकसान का जोखिम संभावित फायदा होने से अधिक होता है।
- रोबोटिक सर्जरी के लिए अन्य विपरीत परिस्थितियों में गंभीर मोटापा,बाउल ऑब्स्ट्रक्शन,तथा सामान्य एनेस्थीसिया को सहन नहीं कर पाना शामिल है। भारत में 2021 से रोबोटिक घुटना रिप्लेसमेंट तकनीक का उपयोग किया जा रहा है,और कुछ अध्ययनों ने पारंपरिक रिप्लेसमेंट की तुलना में रोबोट के साथ बेहतर परिणाम दिखाए हैं। हालांकि,भारत में रोबोटिक सर्जरी प्रक्रियाओं का खर्च उठाना एक चुनौती है। भारत में हर साल 70,000 से 80,000 घुटना रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती हैं।