हनुमान की उडान रामलीला में आकर्षण का केंद्र रही
बीगोद- कस्बे के बालाजी चौक रामलीला मंचन के दौरान मेघनाद व लक्ष्मण युद्ध के दौरान लक्ष्मण मूच्र्छित होने के दौरान लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए विभीषण के कहने पर लंका से वैद्य सुषेण को बुलाया गया। सुषैण ने आते ही कहा कि लक्ष्मण को अगर कोई चीज बचा सकती तो वह चार बूटियां मृत संजीवनी यह सभी बूटियां हिमालय पर मिल सकती है । सूर्य उदय से पहले संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। जिसपर हनुमान जी आकाश मार्ग से पर्वत पर गये जंहा कर बूटिया नही पहचान न पाने से पूरा पर्वत उठाकर लेकर आये। उस पर्वत मे से सुषैण वैध द्वारा संजीवनी बूटी देने पर लक्ष्मण जीवित हुये। यह मामिर्क दृश्य रामलीला मंचन के दौरान वर्षों से कस्बे निवासी भेरु लाल पिता डालचंद सैन द्वारा किया जा रहा। इस दौरान 60 फीट ऊची उडान भर लकड़ी झूला व रस्सी की सहायता से जय श्रीराम का घोष करते निडरता से संजीवनी बूटी लेकर नीचे ऊतरते उस दौरान ग्रामीण महिलाएं, पुरुषों द्वारा बालाजी को यादगार कर रामधूनी बखान किया जाता है ।इस आकर्षण का केंद्र के दृश्य को देखने के लिए ग्रामीण लोग आतुर रहते। इस दौरान कस्बे के नंदलाल कुमावत द्वारा 4500 रूपये की बोली लगाकर हनुमानजी मंचन करने वाले का आदर सत्कार किया।
(फोटो कैप्सन–
1-60 फिट ऊंची उड़ान भरकर झूले व रस्सी की सहायता से संजीवनी बूटी लाते
2- इस दौरान मूच्र्छित पडे लक्ष्मण)
फोटो प्रमोद कुमार गर्ग