राकेश की रिपोर्ट
औघड़ सम्राट कहे जाने वाले बाबा किना राम की तपोस्थली बौडहिया शक्ति पीठ पर उनका प्राकट्य दिवश धूमधाम से मनाया गया. हजारो साल पूर्व स्थापित इस मठ मे महर्षि विश्वामित्र व भगवान परशुराम जैसे बडे संत भी यहा निवास करते थे. परिसर मे बाबा किनाराम की आदमकद प्रतिमा की स्थापना भी इसी महीने हुई है.
गाजीपुर जिले के सदर कोतवाली इलाके में गंगा के किनारे बसा अति प्राचीन बौड़हिया मठ पर बाबा कीनाराम के 421वें जन्मदिन को श्रद्धालुओं ने उनकी मूर्ति स्थापित कर धूमधाम से मनाया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने बाबा कीनाराम के स्थापित मूर्ति समेत परिसर को फूल मालाओ से सजा दिया । शहर में स्थापित बौड़हिया मठ में 24 घंटे धूनी जलती रहती है। साथ ही लोगों का मानना है कि यहां पर जो भी श्रद्धालु आते है बाबा कीनाराम के आशीर्वाद से उनकी मुरादे भी पूरी होती है। बौड़हिया मठ ग़ाजीपुर शहर का सबसे ऊंचा स्थान है और पास में ही जिले के शहर कोतवाल चीतनाथ और अति प्राचीन हनुमान मंदिर भी स्थापित है।
कहा जाता है कि इस स्थान पर तड़कासुर बध के बाद भगवान श्री राम, लक्षमण और विस्वामित्र ने आराम किया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां पर अघोर पंथ के संत बाबा कीनाराम का मठ जान कर लोग इस स्थान का दुरुपयोग करते थे। लेकिन पिछले कुछ साल से स्थानीय और नगरपालिका परिषद व जनप्रतिनिधियों की मदद से इस स्थान को स्वच्छ और सुंदर बनाया गया। अब इस स्थान पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगने लगी। बता दे कि आज के कार्यक्रम का आयोजन संजय सिंह के द्वारा किया गया। लोग बड़े ही उत्साह के साथ बाबा कीनाराम का प्रसाद ग्रहण किया.
अघोर पंथ के पालक व संरक्षक बबाल किनाराम जनपद के रावल गांव से जुडे थे जिले के दिलदार नगर इलाके मे गिरनार आश्रम भी मौजूद है जहा समय समय पर अघोर पंथ के लोग समाधि व पूजन करते है. यह मठ वाराणसी के पडाव बाबा किनाराम समाधि स्थल से जुडा है और यहा समाज सुधार के साथ और पंथ के लोगों का आना जाना रहता है. स्थानीय लोगों व ब्यवसाई संजय सिंह के प्रयास से और रमणीय हो गया है.