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ब्रेकिंग न्यूज उचित जल निकास व्यवस्था के किसान भाई 15 जुलाई तक कर सकते है हल्दी की बुवाई – डॉ. वी.पी. पांडे (पूर्व अधिष्ठाता आचार्य नरेन्द्र देव कृषि विवि)

अयोध्या ब्यूरो कामता शर्मा
मानसून की पहली बर्षा होते ही हल्‍दी की खेती हेतु भूमि को तैयार किया जाता है, बर्षा के अनुसार अप्रैल से लेकर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक बुवाई की जा सकती है। लेकिन जो भी किसान भाई अभी तक हल्दी की बुवाई नही किए हैं वे किसान भाई अपने खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था के साथ हल्दी की बुवाई 15 जुलाई तक कर सकते है
हल्‍दी की खेती हेतु 20 से 25 कुंतल/हैक्टेंयर प्रकंद बीज की आवश्यतकता होती है।
पौधो को तेज धूप से बचाने एवं मिट्टी में नमी वनाये रखने के लिये पत्तोे से ढकना चाहिये।

हल्‍दी की प्रजाति :-
ND -98,रोमा, सुरोमा, सगुणा, सुदर्शन, प्रभा, रश्‍मी, प्रतिभा

हल्दी् (टर्मरिक) ये भारतीय वनस्पति है यह अदरक की प्रजाति का ५ से ६ फिट बढने बाला पौधा है जिसमें जड की गाठो में हल्दी मिलती है हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारी दृव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा, लौंगा, गौरी वट्ट विलासनी, कुमकुम टर्मरिक नाम दिये गये है।

आयुर्वेद में हल्दी एक महत्व्पूर्ण औषधि मानी गयी है। भारतीय रसोई में इसका महत्वतपूर्ण स्थान है। धार्मिक रूप से इसको बहुत शुभ समझा जाता है विवाह में तो हल्दीे की रस्‍म का एक विशेष महत्व है।
हल्दी का उपयोग धर्मिक कर्यो के अलावा मशाला, रंग सामग्री, औषधि तथा उपटन के रूप में हल्‍दी का उपयोग किया जाता है औषधि एवं घरेलू उपयोग में उपयोगिता इस प्रकार है। भोजन के प्रमुख तत्‍व के रूप में इसका उपयोग भोजन का स्‍वाद बढाने में किया जाता है भोजन में इसकी सर्वाधिक उपयोगिता है हल्दी में कैंसर रोधी गुण पाये जाते है।

सौदर्य में हल्दीे का उपयोग त्वचा में निखार लाने के लिये किया जाता है। आन्तरिक रक्त स्त्राव की स्थिति में हल्दी का उपयोग दर्दनाशक के रूप में किया जाता है।
हल्दी को स्वर्ण मसाला कहा जाता है. जिसे भारत में हल्दी के नाम से जाना जाता है. इंडियन किचन में बिना हल्दी के खाना बनाने का आप सोच भी नहीं सकते हैं. हल्दी किसी भी खाने को गर्म स्वाद के अलावा एक खूबसूरत सा रंग देती है. सूरज की करणों की तरह सुनहरा और नेचर में गर्म जिसे हम हल्दी कहते हैं. आयुर्वेद से लेकर मेडिकल साइंस भी हल्दी को इंसान के लिए फायदेमंद मानती है. भारतीय इतिहास में इसे काफी ज्यादा पूजनीय माना जाता है. यह बेहद असाधाराण मसाला है जो अब दुनिया भर में रसोई और स्वास्थ्य अलमारियों की शोभा बढ़ा रहा है, सुपरस्टार का दर्जा पाने का हकदार है. लेकिन वास्तव में इसे “सुपरफूड” कहा जाता है।

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