रिपोर्ट ब्यूरो गोरखपुर
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित प्रीपीएचडी वर्ष 2019-20 के द्वितीय प्रश्नपत्र कंप्यूटर एप्लीकेशन की लिखित परीक्षा रविवार को सकुशल संपन्न हुई। परीक्षा में 90 फीसदी विद्यार्थी शामिल हुए। करीब 20 निष्कासित विद्यार्थियों को छोड दे तो इतने ही विद्यार्थी सात जनवरी को आयोजित रिसर्च मैथोडोलॉजी प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा में शामिल हुए थे।
कुलपति ने कहा कि हमारा उद्देश्य पारदर्शी तरीके से परीक्षा का आयोजन करना होता है। उसमें हम सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीएचडी के पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता को बढाने की जरूरत है, पांच पांच क्रेडिट के दो कोर्स कर हमारे विद्यार्थियों का क्रेडिट केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय एवं उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा बनाए गए क्रेडिट बैंक में प्रदर्शित हो सके। इससे विश्व स्तरीय कोई भी विश्वविद्यालय इसका सत्यापन कर सकेगा।
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक ने आदेश जारी किया है कि प्रीपीएचडी परीक्षा का परिणाम 15 जनवरी से पहले घोषित किया जाएगा। रिसर्च मैथोडोलॉजी की कॉपी की उत्तरपुस्तिकाओं का मुल्यांकन हर विभाग के तीन शिक्षकों के द्वारा किया जाएगा। कंप्यूटर एप्लीकेशन की प्रायोगिक परीक्षा कंप्यूटर साइंस के विभागाध्यक्ष के द्वारा कराई जाएगी। ऐसे विद्यार्थी जिनकी सात जनवरी को आयोजित रिसर्च मैथोडोलॉजी की परीक्षा में उपस्थित थे लेकिन वो परीक्षा नहीं दे पाए क्योंकि उनकी उत्तरपुस्तिकाएं या तो छिन ली गईं या फाड दी गई थी उनको विभागों के द्वारा किए गए आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक दिया जाएगा। आंतरिक मूल्यांकन में 15 अंक रिव्यु ऑफ लिटरेचर, 15 अंक असाइनमेंट और 5 अंक उपस्थिति के दिए जाएंगे। विभागाध्यक्ष 13 जनवरी तक परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में इसे जमा करा दें ताकि 15 जनवरी तक परिणाम घोषित किया जा सके और उनके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो।
परीक्षा नियंत्रक के द्वारा एक नोटिस जारी किया जा रहा है जिसमें 2019-20 के विद्यार्थियों को सूचित किया जाएगा कि वो अपने सभी प्रपत्र रेट स्कोर, साक्षात्कार स्कोर, डीआरसी रिकमेंडेशन, डीन/कुलसचिव नोटिफिकेशन को 13 जनवरी तक परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में जमा करा दें जिससे उनके परीक्षा परिणाम निकालने में सुविधा हो। कुलपति ने कहा कि सुपरवाइजर/एडवाइजर आवंटित करते समय विद्यार्थियों की प्राथमिकता और शिक्षक की वरीयता को आधार बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता खासकर शोध के स्तर पर यह एक सुदढ कदम है। इससे आने वाले दिनों में गुणवत्तापरक शोधार्थी होंगे जो आगे चलकर अच्छे अध्यापक बनेंगे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में सीबीसीएस/सेमेस्टर सिस्टम, क्रेडिट एंड कोर सिस्टम की शुरूआत की गई है। जिससे गुणवत्तापरक शोघार्थी और शिक्षकों की नर्सरी तैयार होगी। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षक कुछ छात्रों को भडकाकर विभाग और विश्वविद्यालय के माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे है, सकुशल परीक्षा के आयोजन से उन्हें निराशा मिलेगी और गुणवत्तापरक शोघार्थियों को बेहतर वातावरण में शोध करने का मौका मिलेगा।
कुलपति प्रो राजेश सिंह ने प्रीपीएचडी परीक्षा के सकुशल आयोजन में सहयोग करने वाले सभी अधिकारियों कुलसचिव, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, केंद्राध्यक्ष, कक्ष निरीक्षक और जिला प्रशासन के अधिकारियों को प्रशंसा पत्र प्रदान करने का निर्णय लिया है।