फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट
फरीदाबाद:आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के अंतर्गत गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल एनआईटी नं-3 में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने विद्यालय की छात्राओं को स्वतंत्रता के लिए किए गए बलिदानों के विषय में अवगत करवाया। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि अगस्त क्रांति अर्थात 9 अगस्त भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में अगस्त क्रांति के नाम से भारत छोड़ो आंदोलन का तीन चार वर्ष का समय अत्यंत महत्त्वपूर्ण होने के साथ कठिनाई भरा भी था।
यह आंदोलन देशव्यापी था जिसमें वृहत स्तर पर भारत के जनसमूह ने भागीदारी की और अभूतपूर्व साहस और सहनशीलता का परिचय दिया। इस आंदोलन ने सम्पूर्ण देश को आपस में जोड़ने में महती भूमिका निभाई थी। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि यद्यपि यह आंदोलन 1944 तक अंग्रेजों द्वारा दिया गया परंतु इस आंदोलन में देशवासियों ने एकता, सक्रियता,साहस,धैर्य और सहनशीलता का अद्भुत परिचय दिया। यही आंदोलन था जिसके बाद अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर गंभीरता से विचार करने को बाध्य होना पड़ा।
9 अगस्त का भारत के इतिहास में एक और भी महत्व है। इसी दिन भारत के क्रांतिकारी सपूतों ने काकोरी में ट्रेन से जा रहे अंग्रेजों के खजाने को लूटने की घटना को मूर्त रूप दिया था और अंग्रेजों की नीदें उड़ा कर रख दी थी इस घटना के बाद ही अंग्रेज भारतीय क्रांतिकारियों के पीछे हाथ धो कर पड़ गए थे। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि रूस की क्रांति में वहां की सिर्फ एक प्रतिशत जनता ने हिस्सा लिया था जबकि भारत की अगस्त क्रांति में देश के बीस प्रतिशत लोगों ने भागीदारी की।
8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित हुआ तथा अंग्रेजों ने इस योजना को असफल करने का पूरा प्रयास किया। इस अवसर पर एक्टिविटीज कॉर्डिनेटर प्राध्यापिका मोनिका और शीतल एवम हिंदी प्राध्यापिका मनीषा और कविता एवम छात्रा अंजली ने भी भारत छोड़ो आन्दोलन पर अपने विचारों और तथ्यों से अवगत कराया। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने अगस्त क्रांति और भारत छोड़ो आंदोलन से सभी छात्राओं को विस्तार से अवगत कराने के लिए सभी अध्यापकों का आभार व्यक्त किया।