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छठवें गुरु श्रीगुरु हरगोबिंद साहिब जी का 429 वां प्रकाशोत्सव जन्म दिवस मनाया

 

गुरु हरगोबिंद ने एक और आदर्श जोड़ा यदि आवश्यक हो तो तलवार से अपने धर्म की रक्षा करना सिखों- सरदार ईश्वर सिंह


मीरजापुर। अहरौरा नगर पालिका क्षेत्र के मुहल्ला टिकरा खरंजा में स्थित गुरुद्वारा बाग श्रीगुरु तेग बहादुर साहिब गुरु सिंह सभा तप स्थान में सिख धर्म के छठवें गुरु श्रीगुरु हरगोबिंद साहिब जी का प्रकाश उत्सव 429 वां जन्म दिवस मनाया गया।
गुरू हरगोबिन्द सिखों के छठें गुरू थे। साहिब की सिक्ख इतिहास में गुरु अर्जुन देव जी के सुपुत्र गुरु हरगोबिन्द साहिब की दल-भंजन योद्धा कहकर प्रशंसा की गई है।

गुरु हरगोबिन्द साहिब की शिक्षा दीक्षा महान विद्वान् भाई गुरदास की देख-रेख में हुई। गुरु जी को बराबर बाबा बुड्डाजी का भी आशीर्वाद प्राप्त रहा। छठे गुरु ने सिक्ख धर्म, संस्कृति एवं इसकी आचार-संहिता में अनेक ऐसे परिवर्तनों को अपनी आंखों से देखा जिनके कारण सिक्खी का महान बूटा अपनी जडे मजबूत कर रहा था। विरासत के इस महान पौधे को गुरु हरगोबिन्द साहिब ने अपनी दिव्य-दृष्टि से सुरक्षा प्रदान की तथा उसे फलने-फूलने का अवसर भी दिया। और अपने पिता श्रीगुरु अर्जुन देव की शहीदी के आदर्श को उन्होंने न केवल अपने जीवन का उद्देश्य माना, बल्कि उनके द्वारा जो महान कार्य प्रारम्भ किए गए थे, उन्हें सफलता पूर्वक सम्पूर्ण करने के लिए आजीवन अपनी प्रतिबद्धता भी दिखलाई।

सरदार ईश्वर सिंह ने बताया कि गुरु हरगोबिंद के नेतृत्व में सिखों ने शाहजहाँ की सेनाओं को चार बार हराया, जिससे मुगलों की अजेयता का मिथक टूट गया। अपने पूर्ववर्ती के सिख आदर्शों में, गुरु हरगोबिंद ने एक और आदर्श जोड़ा यदि आवश्यक हो तो तलवार से अपने धर्म की रक्षा करना सिखों। इस शुभ अवसर पर सरदार सतपाल सिंह, अमोलक सिंह, ईश्वर सिंह, सुरजन सिंह, जीत सिंह, करनैल सिंह कमल, इंद्रजीत सिंह, गुरमीत सिंह सहित दर्जनों सिख समूह साध संगत उपस्थित रहे।

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