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सरकार, नेता, अधिकारी व मानव निर्मित नियम धर्म मे हस्तक्षेप न करें

(१)श्रीनाथजी के सखा बृजवासी है ! सन् 1409 से सन् 1506 (97 वर्ष) तक श्री सद्दू पाण्डे जी, उनके परिवार व बृजवासियों ने श्रीनाथजी की सन्मुख निज सेवा की, किन्तु आजकल उनको मठाधीश ने सेवक बना रखा है !
(२)श्रीनाथजी के सेवक श्रीवल्लभाचार्य जी है ! सन् 1506 से सन् 1530 (24 वर्ष) तक श्रीवल्लभाचार्य जी श्रीनाथजी के सेवक के रुप मे सेवा की, किन्तु आजकल उनके वंशज सेवक से मठाधीश बन गये है !
(३)सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धार्मिक मामलों को धार्मिक लोग ही निपटाएँ ! अहोबिलम मन्दिर के लिए राज्य सरकार अधिकारी नियुक्त न करें ! अर्थात् मन्दिर / धर्म मे सरकार हस्तक्षेप न करें !
(४)श्रीनाथजी मन्दिर मे धर्म के मामले मे दो लोग है एक बृजवासी व दूसरे वल्लभ कुल के वंशज है ! इसमें समस्या यह है कि श्रीनाथजी के सखा को सेवक बना दिया व श्रीनाथजी के सेवक से मठाधीश बन बैठे है !
(५)समस्या इससे भी ज्यादा आगे बढ़ गई है कि मठाधीश श्रीनाथजी की सम्पत्तियों को स्वयं की सम्पत्ति मानने लग गये है ! श्रीनाथजी के धन, जमीन व सम्पत्ति का अपव्यय होने पर भी चुप है ! श्रीनाथजी मन्दिर मण्डल पर सरकारी नियंत्रण व हस्तक्षेप गलत है ! इसलिए श्रीनाथजी मन्दिर का मसला एक बृजवासी व वल्लभ कुल ही आपस मे बैठकर समाधान करें !

सीए. दिनेश सनाढ्य – एक हिन्दुस्तानी

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