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गाजीपुर: मायके में है महिला प्रधान बेखौफ पति चला रहा घोटाले व फर्जी सिग्नेचर की दुकान

गाजीपुर: पति के घोटालेबाज रवैये व आशनाई से परेशान होकर महिला प्रधान छः महीने से मायके में रह रही हैं। जबकि अपने आप को प्रधान प्रतिनिधि घोषित कर चुका पति गांव सभा के रिकार्डो से लेकर ब्लाक व विकास योजनाओं के दफ्तरों में घूम घूमकर महिला प्रधान का सिग्नेचर कर रहा है। कई मामले तो ऐसे है जिसकी जानकारी भी महिला प्रधान को नही है लेकिन पति ने बाकायदा पैड छपवाकर लोगो के प्रमाण पत्र अपने हस्ताक्षर से जारी कर रहा है।

सैदपुर विकास खण्ड के जैनपुर ग्रामसभा में मंजू देवी को प्रधान चुना गया। चुनाव के बाद से ही मंजू गांव की किसी खुली बैठक में शामिल नही हो पायी न ही उसे ग्राम सभा से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियों की जानकारी हो पायी। महिला का पति दीपक कुमार लगातार अपने आप को प्रधान बताकर गांव की भोले भालों समेत एक होमगार्ड को भी फर्जी चरित्र प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। गांव में 50 से अधिक ऐसे लोगों का मनरेगा जाबकार्ड बनाया गया है।

जो या तो बुजुर्ग है यहॅा तक कि वृद्धावस्था पेंशन भी पाते हैं उनको मनरेगा का जाब कार्ड बना दिया गया है और उनके खाते में फर्जी मस्टरोल के जरिये पैसे का आदान प्रदान किया जाता है। बाद में 50 फीसदी से अधिक धन लोगों के खाते से निकलवाकर प्रधान पति के समर्थक ले लेते हैं।

गांव में घर के अन्दर रहने वाली कई दुल्हनांे को भी जाबकार्ड धारक बनाकर उनके खाते में पैसे भेजे जाते है और बाद में बंदरबाट कर ली जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि मंजू के पति दीपक कुमार की मजनू गिरी वाले रवैये के चलते महिला प्रधान अपने पिता के घर रहती है। उसे न किसी योजना की जानकारी है न ही वह किसी कागजात पर सिग्नेचर करती है।

लेकिन दीपक लगातार मंजू का सिग्नेचर बनाकर गांव के लोगो को ही नही ब्लाक स्तरीय अफसरों को भी गुमराह कर रहा है। गांव के एक होमगार्ड को जारी चरित्र प्रमाण पत्र के बारे में महिला प्रधान मंजू को जानकारी ही नही है न ही होमगार्ड को पहचानती है। दीपक की कूटरचना से महिला प्रधान के कार्यो पर ग्रामीण उंगली उठा रहे है।

गांव निवासी मंटू सिंह का आरोप है कि ग्राम प्रधान ने नदी का बंधा ठीक कराने के नाम पर जे0सी0बी0 चलवाया और उपर के अफसरों को गुमराह कर आठ लाख से अधिक का भुगतान करा लिया जिसमे उसके द्वारा बनाये गये फर्जी जाब कार्ड धारकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका हैं। गांव की कई सड़कों का बिना निर्माण कराये ही अपने पांच दर्जन फर्जी मनरेगा मजदूरों के खाते से पैसे का आहरण किया गया है।

यही नही गांव में बने खड़जें को उजाड़ कर उसका ईट नीलाम करने के साथ ही खंड़जे को मनरेगा मजदूरों के बजाय टैªक्टर से समतल कराने का कार्य भी किया गया है। दूसरी तरफ ग्राम प्रधान खड़जे निर्माण में तीसरे दर्जे की सेमा ईट का प्रयोग खुले आम किया जा रहा है। जबकि महिला प्रधान अपने पिता के घर रहती है और दीपक कुमार के चकमे में सारा गांव व अफसर उलझे पड़े है।

राकेश की रिपोर्ट

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