Ibn24x7news रिपोर्ट विकास चन्द्र अग्रहरि ब्यूरो चीफ मीरजापुर
मीरजापुर । पैतृक गांव गोरखपुर जिले के बांसगांव तहसील का भस्मा गांव है । पिताश्री डॉ भवदेव पांडेय की जन्मभूमि है । आजादी के संघर्ष में पितामह पं0 त्रिविक्रम पांडेय की भागीदारी से पूरा परिवार ब्रिटिश उत्पीड़न के शिकार हुआ । लेकिन पिताश्री डॉ भवदेव पांडेय इसी उत्पीड़न से संघर्ष का आत्मबल अर्जित करने में इस तरह लगे कि बिना स्कूली शिक्षा के वे प्राइवेट स्तर पर उच्च शिक्षा अध्ययन, उच्च शिक्षा अध्यापन और जीवन के आखिरी क्षण तक लेखन के उच्चतम विन्दुओं को स्पर्श करने में सफल रहे ।
भस्मा गांव का आशय व्यष्टि को भस्म कर समष्टि में जीने के यज्ञ-अनुष्ठान से लिया जाना चाहिए । क्योंकि व्यष्टिवादी प्रवृतियां वह दावानल है जिसमें समाज और संस्कार जल कर खाक हो जाते हैं । डॉ भवदेव पांडेय की पी एच डी ‘हिंदी लोक साहित्य में ऋतु गीतों का अध्ययन’ विषय पर आधारित रही । लोक में गीत ही आदर्श जीवन के अवलम्ब हैं । भस्मा गांव की भूमि में गहरे तक यह भाव समाहित है ।
गत दिवस पैतृक गांव भस्मा से मिर्जापुर में आयोजित परिवार के बच्चों के उपनयन संस्कार में भाग लेने के लिए छोटे भाई लखनऊ के राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में विभागाध्यक्ष (हिंदी) डॉ शिशिर पांडेय एवं उत्तर-पूर्व रेलवे में राजभाषा अधिकारी पद पर कार्यरत यथार्थ पांडेय ने भस्मा गांव में रहने वाले बड़े पिता के पुत्र महेंद्र पांडेय एवं गांव के विकास में पूर्ण मनोयोग से लगे ग्राम-प्रधान सूर्यप्रकाश पांडेय को आमंत्रित किया । दोनों लोग यात्रा की जटिलताओं एवं विषमताओं को झेलते हुए आए क्योंकि उस दिन पुलिस भर्ती परीक्षा से यात्रा व्यवस्था चरमराई हुई थी । ग्राम प्रधान सूर्यप्रकाश पहली बार आए थे । बातचीत का सिलसिला शुरू होते हुए सुखद लगा कि सूर्यप्रकाश पांडेय गांव के बहुमुखी विकास का भाव हर पल साथ लिए रहते हैं, उनके इस लक्ष्य में महेंद्र पांडेय कदम से कदम मिलाते रहते हैं । किसी गांव के विकास में खेती-किसानी के बावत प्रश्न पर उन्होंने बताया कि सिंचाई की समस्या है क्योंकि सिंचाई का एकमात्र साधन ट्यूबबेल ही है । पानी के अभाव में अशक्त किसानों की खेती भी अशक्त ही रहती है ।
संयोग से इन दिनों गोरखपुर में गण्डक सिंचाई परियोजना के मुख्य अभियंता श्री ए के सिंह हैं । उनकी सुव्यवस्थित एवं टीम भावना से काम करने की पद्धति को मिर्जापुर और सोनभद्र ने देखा ही नहीं बल्कि सराहा भी है । दोनों जिलों में वे सिंचाई विभाग में अधीक्षण अभियंता के रूप में उनका कार्यकाल सफल रहा । किसानों का आंदोलन रहित कार्यकाल था उनका । भस्मा गांव की इस व्यथा-कथा से उन्हें अवगत कराया गया । उम्मीद बंधी है कि सिंचाई के अपने हिस्से से वंचित गांव को आगामी वर्षों में पानी मिल सकेगा ।
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