फरीदाबाद, बी.आर. मुराद: माह-ए-रमजान 2 मार्च 2025 से शुरू हो चुका है, और आज 7 मार्च को पहला जुमा (शुक्रवार) है। इस्लाम धर्म में जुमा की नमाज को खास अहमियत दी गई है, और जब यह रमजान के पवित्र महीने में आता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
रमजान में जुमे की विशेष अहमियत
जामा मस्जिद ऊंचा गांव बल्लभगढ़ के मौलाना जमालुद्दीन के अनुसार, रमजान इबादत और बरकत का पाक महीना है। इस पूरे महीने में मुसलमान रोजे रखते हैं और जब वे जुमा की नमाज अदा करते हैं, तो अल्लाह उनकी सभी दुआएं कुबूल करता है। इसी वजह से रमजान के महीने में पड़ने वाले जुमा का विशेष महत्व होता है।
उन्होंने बताया कि इस साल रमजान में कुल चार जुमे पड़ेंगे:
📅 पहला जुमा: 7 मार्च 2025
📅 दूसरा जुमा: 14 मार्च 2025
📅 तीसरा जुमा: 21 मार्च 2025
📅 चौथा जुमा: 28 मार्च 2025
मरकज मस्जिद ईदगाह के पूर्व इमाम मुफ्ती मुस्तिजाबुद्दीन ने कहा कि इस्लाम में रोजाना पांच वक्त की नमाज अदा करना फर्ज है, लेकिन जुमा की नमाज को खास तवज्जो दी गई है।
जुमा की नमाज का महत्व
हदीस शरीफ के मुताबिक:
📖 हजरत आदम अलैहिस्सलाम को जुमे के दिन ही जन्नत से इस दुनिया में भेजा गया था।
📖 उनकी जन्नत में वापसी भी जुमे के दिन ही हुई थी।
📖 इस्लामिक मान्यता है कि जुमे के दिन की गई इबादत से पूरे हफ्ते की गलतियों की माफी मिलती है।
आज जुमा की नमाज के दौरान अल्लाह की रजा, रहमत और बरकत के लिए लाखों रोजेदार सिर झुकाकर दुआएं मांगेंगे। मस्जिदों में भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करेंगे और रमजान की पाकी और बरकत की दुआ करेंगे।