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श्रेष्ठ भारतीय परंपराओं के अनुकूल विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य – प्रो डीपी सिंह

 

रिपोर्ट ब्यूरो

 

महाराणा प्रताप महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

 

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शिक्षा सलाहकार एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो धीरेंद्र पाल सिंह (डीपी सिंह) ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मूल उद्देश्य युगानुकूल श्रेष्ठ भारतीय परंपराओं का भान कराते हुए विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनाना है। हर विद्यार्थी में असीमित शक्तियां अंतर्निहित होती हैं। यह शिक्षा नीति उनको पहचानकर उसी के अनुकूल आगे बढ़ाने पर जोर देती है।

प्रो सिंह शनिवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और उसका कार्यान्वयन’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। महाविद्यालय के बीएड विभाग तथा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की तरफ से आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा में ज्ञान देते हुए विद्यार्थियों को जड़ों से जोड़ने के बावजूद किसी अन्य भाषा से द्वेष भावना न रखने की सीख देती है। शिक्षा नीति में वैश्विक नागरिक के निर्माण के संदर्भ को और स्पष्ट करते हुए बताया कि भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति ने कभी विश्व को बाजार नहीं माना। हम समूचे विश्व को कुटुंब मानते हैं। इसी के अनुरूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति श्रेष्ठ सनातनी परंपराओं, सांस्कृतिक विरासत, पहचान, भाषाओं, कलाओं के संरक्षण-संवर्धन हेतु बनाई गई है। प्रो सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति यह समझाती है कि हमें भारत को हर संदर्भ में सक्षम और समृद्ध बनाने के लिए पीछे मुड़कर देखना है और फिर आगे बढ़ना है।

गोरखपुर को नॉलेज सिटी बनाने का तैयार हो रहा रोडमैप
सीएम योगी के शिक्षा सलाहकार एवं यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में मूल्य परकता व राष्ट्रीयता को ध्यान में रखते हुए गोरखपुर को बहु विषयक शिक्षा का हब बनाते हुए नॉलेज सिटी बनाने की है। उसी के अनुरूप रोडमैप तैयार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की दृष्टि बेसिक शिक्षा से लेकर माध्यम, उच्च व तकनीकी शिक्षा पर समग्र रूप से है क्योंकि बेसिक व माध्यमिक शिक्षा की मजबूती से ही उच्च व तकनीकी शिक्षा की सार्थकता सिद्ध हो पाएगी।

ज्ञान तक पहुंचने का रास्ता दिखाती है शिक्षा : प्रो मजहर आसिफ
राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बीज वक्तव्य देते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य एवं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली में इतिहास विभाग के आचार्य प्रो मजहर आसिफ ने कहा कि सनातन भारतीय संस्कृति शिक्षा की बजाय ज्ञान देने की बात करती है। शिक्षा, ज्ञान नहीं है बल्कि ज्ञान तक पहुंचने का रास्ता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी शिक्षा के रास्ते पर संस्कार प्राप्त करते हुए ज्ञान देने पर जोर देती है। प्रो मजहर ने कहा कि इस शिक्षा नीति में मातृभाषा की महत्ता को माना गया है क्योंकि मौलिक चिंतन मातृभाषा में ही स्वाभाविक होता है। उन्होंने कई रोचक उदाहरणों के जरिये समझाया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बुनियाद उस सनातन संस्कृति पर रखी गई है जो पचास हजार वर्षों बाद भी अक्षुण्ण है। सनातन संस्कृति के समकालीन 65 सभ्यताएं थीं लेकिन सनातन के अलावा अन्य सभ्यताएं या तो समाप्त हो गईं या उनका अन्य नामकरण हो गया। सिर्फ सनातन संस्कृति में अपने इतिहास को संजोकर रखने का माद्दा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सही कार्यान्वयन से बनेंगे वैश्विक प्रतिस्पर्धी : प्रो राजेश सिंह
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए यह आवश्यक है कि हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपने शिक्षण संस्थानों में सही और प्रभावी तरीके से लागू करें। इसमें कोई परेशानी भी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह शिक्षा नीति लचीलापन प्रदान करती है। अपने देश में मेधा भी है और संसाधन भी। बस सही तरीके से उन्हें प्रबंधित करने की जरूरत है। उच्च शिक्षा के संस्थानों की वैश्विक तुलनात्मक स्थिति रखते हुए प्रो सिंह ने बताया कि अपने देश से 65 हजार करोड़ रुपये विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करने के नाम पर चले जाते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सही कार्यान्वयन से इस राशि का उपयोग देश में ही हो सकता है। इस अवसर पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ का स्मरण करते हुए प्रो सिंह ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना में ब्रह्मलीन महंत जी का अविस्मरणीय योगदान है।

शिक्षा के केंद्र में सबको लाने पर ही होगा सटीक कार्यान्वयन
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि प्रो आशीष श्रीवास्तव (डीन, स्कूल ऑफ एजुकेशन, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी) तथा प्रो रामानंद पांडेय (निदेशक, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एंड गवर्नेंस, नई दिल्ली) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सटीक कार्यान्वयन हेतु सबको शिक्षा के केंद्र में लाने की अपील की। प्रो आशीष ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों के लिए भी विशेष दृष्टिकोण दिया गया है। इस पर ध्यान देकर ही भारत को विश्वगुरु बनाने की परिकल्पना को साकार किया जा सकेगा। प्रो रामानंद ने कहा कि शिक्षा के केंद्र में विद्यार्थी, शिक्षक, समाज सबको शामिल न करने पर शिक्षा नीति सिर्फ दस्तावेज बनकर रह जाएगी।

ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के विचारों के अनुरूप है राष्ट्रीय शिक्षा नीति
राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रस्ताविकि रखते हुए महाराणा प्रताप महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रदीप कुमार राव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के विचारों के अनुरूप है। ब्रह्मलीन महंत जी ने पांच दशक पूर्व शिक्षा व्यवस्था में राष्ट्रीयता और मूल्य परकता की जिन संकल्पनाओं को देश की संसद में रखा था, उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने अंगीकार किया है। प्रो राव ने कहा कि 1964 में गठित शिक्षा आयोग की अनुशंसाओं पर रिपोर्ट देने के लिए 1967 में संसदीय समिति का गठन किया गया था। गोरखपुर से तत्कालीन सांसद ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ भी समिति के सदस्य थे। तब उन्होंने उस समय की शिक्षा नीति से यह कहते हुए असहमति जताई थी कि शिक्षा राष्ट्रीय विकास के साथ सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक उन्नति का संबल व साधन है। इसमें राष्ट्रीयता को उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। पर, उस समय की नीति में शिक्षा की मूल समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया। प्रो राव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मूल भावनाएं 1932 में स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के मूल उद्देश्यों से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में शिक्षा परिषद की सभी संस्थाएं अपने संस्थापक के सपनों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को तत्पर हैं। सभी संस्थाओं ने इसे लागू करने की कार्ययोजना बना ली है।

कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी की संयोजक/सचिव, महाराणा प्रताप महाविद्यालय में बीएड विभाग की अध्यक्ष शिप्रा सिंह ने किया। इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, गोरखपुर विश्वविद्यालय में बीएड विभाग की अध्यक्ष प्रो शोभा गौड़, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के पदाधिकारी, सदस्य, शिक्षा परिषद के सभी संस्थाओं के प्रमुख, शिक्षक, शोधार्थी व छात्र मौजूद रहे।

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