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खुद छात्र खरीदेंगे सामग्री स्कूलों में ठेके पर लगेगा रोक

 

रिपोर्ट-अशोक सागर गोंडा

गोंडा। बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों में अब ठेकेदारों की दखल खत्म होगी। वहीं शिक्षकों की अनावश्यक परेशानी भी दूर होगी। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक अब खुद यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते-मोजे और बैग खरीद पाएंगे। शासन ने अब पैरेंट्स के खाते में पैसे ट्रांसफर करेगा।
इसकी पूरी योजना शासन स्तर पर बन गई है। जिले में बच्चों के अभिभावकों का पूरा ब्यौरा फीड कराया जा रहा है। प्रेरणा एप पर ही इसके लिए व्यवस्था की गई है। बीएसए विनय मोहन वन ने सभी बीईओ को फीडिंग का कार्य पूरा कराने के निर्देश दिए हैं।विभाग ने 3100 परिषदीय स्कूलों में चालू शैक्षिक सत्र में 3.75 लाख बच्चों और उनके अभिभावकों के बैंक खातों की डिटेल तैयार की जा रही है। जिसका सत्यापन करके फीड किया जाना है।


स्कूलों केे प्रधानाध्यापकों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है और समय से पूरा कराने के निर्देश दिया गया है। कोरोना महामारी के चलते शैक्षिक सत्र 2021-22 में स्कूल तो खुले थे, लेकिन बच्चों को स्कूल नहीं बुलाया जा रहा था।
एक सितंबर से बच्चों का स्कूल आना शुरू हुआ है। इसलिए अभी तक ड्रेस आदि की खरीद या वितरण नहीं हो सकी है। गुणवत्ता को लेकर और समय से ड्रेस वितरण न होने से काफी सवाल उठते थे। इससे बचने के लिए सरकार ने चुनावी साल में यह नया तरीका निकाला है।
डीबीटी योजना से अब अभिभावकों को खाते में रुपया मिलेगा। एक बच्चे को 1056 रुपये मिलेंगे। इसमें 600 रुपये यूनिफॉर्म, 200 रुपये स्वेटर, 135 रुपये जूते, 21 रुपए मोजे और 100 रुपये स्कूल बैग के लिए शामिल हैं।डायरेक्ट बैनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से यह पैसा बच्चों या उनके परिजनों के खातों में भेजा जाएगा। स्कूल में जो बच्चे पंजीकृत हैं, उनका डेटा बेसिक शिक्षा विभाग की प्रेरणा एप पर अपलोड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डाटा फीड होने और सत्यापन के बाद रूपए भेजे जाने की कार्रवाई शुरू होगी।
बेसिक शिक्षा के स्कूलों में ड्रेस वितरण के लिए कई बड़े भी सामने आ जाते थे। जिससे अधिकारियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। अभी तक इन सभी चीजों की केंद्रीयकृत खरीद होती थी। इसके बाद मंडल, जनपद और फिर ब्लॉक वार इनका वितरण होता था।

मतलब स्कूल तक सामग्री पहुंचने की एक लंबी प्रक्रिया थी। इससे बच्चों तक यूनिफॉर्म, जूते-मोजे पहुंचने में देरी होती थी। इस देरी को खत्म करने के लिए विभाग ने सीधे बच्चों के खातों में पैसा भेजने का फैसला लिया है, ताकि वह जल्द यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते-मोजे खरीद सकें। कई बार ड्रेस-जूतों की क्वालिटी पर भी सवाल उठते थे। अब बच्चे व उनके परिजन अपनी मर्जी से खरीद सकेंगे।
स्कूली योजनाओं की फीडिंग के लिए बीआरसी पर कंप्यूटर आपरेटर की व्यवस्था है। इसके लिए बीआरसी को बजट भी दिया जा रहा है। साथ ही मानदेय पर कंप्यूटर आपरेटर की नियुक्ति भी कर रखी गई है।

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