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युवाओं में तेजी से बढ़ रहे ब्रेन स्ट्रोक के मामले:डॉ.रोहित गुप्ता

 

फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट

फरीदाबाद:ग्रेटर फरीदाबाद स्थित एकॉर्ड अस्पताल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डाॅ.रोहित गुप्ता ने बताया कि पिछले कुछ सालों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़े है।

वहीं युवाओं में तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बनकर उभरी है। विश्व में हर दूसरे सेकेंड में एक मरीज ब्रेन स्ट्रोक का सामने आ रहा है। भारत में ही हर साल 15 लाख से ज्यादा स्ट्रोक के नए मरीज सामने आ रहे हैं।

फरीदाबाद में प्रत्येक महीने लगभग 80 मरीज स्ट्रोक के आ रहे हैं। स्ट्रोक की पहचान चेहरा टेढ़ा हो जाना,आवाज बदलाना, शरीर केएक हिस्से में कमजोरी के साथ ताकत कम हो जाना प्रमुख है। लक्षणों को समझ कर तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है।

समय रहते यदि इलाज शुरू कर दिया जाए तो स्ट्रोक पर काबू पाया जा सकता है।

ब्रेन स्ट्रोक का नई तकनीक से उपचार
स्ट्रोक के इलाज के लिए थक्कारोधी दवाओं के अलावा अब मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी नामक नई तकनीक भी आ गई है।

खून के थक्के के कारण मस्तिष्क में ब्लॉक हुई रक्त वाहिकाओं को खोलने के लिए यह एक प्रभावी नॉन-सर्जिकल तकनीक है।

मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी प्रक्रिया तब इस्तेमाल की जाती है जब स्ट्रोक आने के 3 से 4 घंटे (गोल्डन पीरियड) के अंदर भी मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाता,थक्का-रोधी दवाएं कोई मेडिकल कारणवश मरीज को नहीं दी जा सकती या फिर दवाई देने के बाद भी ब्लॉक हुई खून की नस नहीं खुलती।

उन्होंने कहा की मैकेनिकल थ्रोमबेक्टोमी से लकवाग्रस्त मरीज का 24 से घंटे तक इलाज किया जा सकता है।

इस तकनीक से लकवाग्रस्त मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है।

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