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सरकार से पूछकर घर पर गाय रखने वाले गुजरात सरकार के कानून को रद्द करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

 

मनीष दवे IBN NEWS

भीनमाल :– गाय घर में रखने के लिए सरकार से इजाजत लेने की बाध्यता सम्बन्धी गुजरात सरकार की ओर से विधानसभा में पारित विधेयक के विरोध में बुधवार को राष्ट्रपति के नाम पर भीनमाल उपखंड अधिकारी की ज्ञापन दिया गया। जिसमें आरोप लगाया कि ये विधेयक देश के करोड़ों गोभक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला होने के साथ ही पशुपालकों के लिए भी बहुत संकट पैदा करने वाला है। राष्ट्रपति से तुरंत प्रभाव से इस विधेयक को रद्द करवाने की मांग की गई।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रवासी फाउंडेशन के अध्यक्ष श्रवण सिंह राठौड़ के नेतृत्व में बुधवार को भीनमाल उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया गया। जिसमें लिखा कि गुजरात की भाजपा सरकार ने विधानसभा में हाल ही में “गुजरात कैटल कंट्रोल (कीपिंग एंड मूविंग) इन अर्बन एरिया बिल ” पारित किया है। इस बिल के प्रावधानों के तहत गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, बड़ोदरा समेत 156 शहरों में गाय, बैल, भैंस, भेड़, बकरी आदि को बिना सरकार की अनुमति के घर पर नहीं रख सकेंगे। गाय आदि घर पर रखने के लिए सरकार से पूछना पड़ेगा। जो व्यक्ति सरकार से बिना लाइसेंस के घर पर गाय आदि पशु रखेंगे उन पर 5 हज़ार से लेकर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना या एक साल की कैद अथवा दोनों जुर्म से दंडित किया जाएगा। ज्ञापन में लिखा कि भारत देश में गाय को माता का दर्जा है और हिन्दू धर्म में गाय को पूजनीय माना गया है।
ऐसे में अगर गौमाता को रखने के लिए अगर सरकार से अनुमति लेने की जरूरत पड़े तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता। ज्ञापन में लिखा कि
बिल के प्रावधानों में ये यहां तक उल्लेख है कि सरकार से निर्धारित तयशुदा जगह के अलावा कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर गायों को चारा तक नहीं डाल सकेगा। गाय, बैल, भैंस, भेड़, बकरी आदि सभी को पालने, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए भी सम्बंधित शहर के स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। राठौड़ ने राष्ट्रपति को लिखा कि आपके ध्यान में लाना चाहूंगा कि पानी और चारे की कमी की वजह से हमारे राजस्थान से देवासी समाज के हज़ारों पशुपालक अपनी गाय, भेड़ बकरियां और ऊंट चराने के लिए पड़ोसी राज्य गुजरात में जाते है। ऐसे में अब इस अव्यवहारिक बिल की वजह से उन हज़ारों पशुपालकों और लाखों गोवंश के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ये कैसे संभव है कि ये अशिक्षित पशुपालक अब गुजरात के शहरों से गुजरने के लिए अपने एक एक पशु के लिए पहले लाइसेंस का आवेदन करेंगे, उसके बाद सरकार की इजाजत लेकर वहां एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकेंगे। ये ही दिक्कत गुजरात के लाखों पशुपालकों के सामने खड़ा हो गया है। आप संवैधानिक मुखिया हो, आपके ध्यान में लाना जरूरी है कि गायों के नाम पर सत्ता में आने वाली भाजपा सरकार के इस बिल से
पूरा गोवंश उपेक्षा का शिकार हो जाएगा।
ऐसे में आपसे ही एक मात्र उम्मीद बची हुई है। गौमाताओं पर बंदिश लगाने को लेकर लागू किये गए इस काले कानून को लेकर गुजरात सरकार का बचकाना तर्क है कि सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए ये बिल लाया गया है। मेरा गुजरात सरकार से सवाल है कि आपको अगर सड़कों पर घूम रहे गोवंश के लिए इतनी ही चिंता होती तो पहले आप पर्याप्त गौशालाएं खोलते, उनके लिए चारे- पानी की व्यवस्था करते। इसके अलग से बजट रखते। इस बारे में पशुपालक समुदाय और किसानों से रायमशविरा करते। आपने ऐसा कुछ किया नहीं। इस काले कानून से पशुपालक सकते में है। ज्ञापन में कहा कि गुजरात और राजस्थान के देवासी और अन्य पशुपालक समुदाय के लोगों से बात हुई हैं, वो सब बहुत तनाव में है। सवाल उठाया कि
क्या इस लाइसेंसी राज के लागू होने से पहले से ही संकट का सामना कर रहा गौवंश और ज्यादा उपेक्षा का शिकार नहीं होगा ? महामहिम महोदय मैंने सभी तरह की विचारधाराओं से जुड़े लोगों से भी आग्रह किया है कि वो गौमाता के लिए दलगत राजनीतिक से ऊपर उठकर गुजरात की भाजपा सरकार के इस काले कानून के विरोध में अपनी आवाज मुखर करें। ज्ञापन में राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया कि गुजरात की भाजपा सरकार को पाबंद कर इस गाय विरोधी बिल को तुरंत प्रभाव से रद्द करवाकर देश के करोड़ों गोभक्तों और गोवंश को राहत प्रदान करवाये। ज्ञापन देने के दौरान एडवोकेट श्रवण ढाका, दिनेश हिंगड़, विक्रम मेघवाल, सुरेंद्र सिंह, आसुखां, समाजसेवी, कृष्ण देवासी, भलाराम माली समेत बड़ी संख्या में युवा मौजूद रहे।

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