कथा के दौरान भजनों पर भजन नृत्य कर झूम उठे
बीगोद– क्षेत्र के पिथिजी का खेड़ा में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा महोत्सव में कथावाचक राकेश मिश्रा ने श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कहां की मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं है लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है कथा में व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्री कृष्ण की कृपा को बड़े सुंदर ढंग से दर्शाया है कहां की परीक्षित कलयुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में व शुकदेव जी के पास जाते हैं।
भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है जो जीवन से परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। कथा व्यास ने कहा कि द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्य देव की उपासना कर अक्षय पात्र की प्राप्त किया। हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया है भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए परमात्मा दिखाई नहीं देता है व हर किसी में बसता है। कथा के मध्य में कथावाचक द्वारा भजनों पर भक्तजनों को नृत्य करने के लिए मजबूर किया ।इस अवसर पर कैलाश शर्मा रामस्वरूप धाकड़ भेरू लाल सुखवाल महावीर चौहान सहित कई श्रद्धालु उपस्थित थे। (फोटो कैप्शन-
1 कथा के दौरान पंडाल में मौजूद भक्त जन
2-कथा का वर्णन करते कथावाचक मिश्रा जी) फोटो प्रमोद कुमार गर्ग