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कही ऐसा तो नही कुछ लोग सपा भाजपा करते रह जाये और जनता इलियास मे आस खोज बैठे?

यह रैली क्या संदेश दे रहा है? क्या इलियास मे जनता की आस बन चुकी है?

#फाजिलनगर: इस ताजा तस्वीर की आंकलन करें और इसकी बारीकी को समझें तो यह जनसमूह लगता है कि कुछ इतिहास लिखने के तरफ अग्रसर है इतना ही नही यह सम्पूर्ण समाज की जनसमूह यह भी चीख चीख कर कह रहा है की देखो मै हिंदू भी हू, मै मुस्लिम भी हूं, मै सिख भी हूं और मै ही ईसाई भी हूं मुझे तुम जितना बांटना चाहोगें हम उतने ही करीब हो जायेगें क्यो की मै कुशवाहा भी हूं, मुसलमान भी हूं, मै यादव भी हू, मै चनऊ भी हूं, मै बहूजन भी हू, मै भूमिहार भी हू, मै ब्राह्मण भी हू, और मै आमजन मानस भी हू, जो हूं.. मै ही हू.. मै समर्थक भी हू और मै ही इलियास भी हूं की नारा देते हुए यह सभी आमजन मानस का हुजूम यह आज प्रतित करा रहा है की अब इलियास अकेला नही बल्कि हम सब ही इनके आस हैं और इस आस और अटूट विश्वास को अब हम लोग टूटने नही देंगे!


‘इलियास जी फाजिलनगर विधानसभा का एक ऐसे प्रत्याशी हैं जिनके पास ना ही धन है, ना बङे नेताओ का सपोर्ट है फिर भी यह अकेला आज इस मैदान मे इसलिए खङे हैं की इनके साथ इनकी अपनी जनता जनार्दन है और यह मुझे कहते हुए थोङी भी हिचक नही हो रही है की यह भीङ आज बहूतो को सोचने पर मजबूर कर दिया होगा की अगर इसबार इलियास का साथ नही दिया तो फिर कभी ऐसे नेक दिल नेता का समर्थक बनने का सौभाग्य नही मिल पायेगा! इसलिए आज फाजिलनगर की जनता ने ऐसा जनसमूह की सैलाब लाया है की विरोधी भी देख आज दात तले ऊंगली दबाने को मजबूर हो गये होंगे। मै किसी तरह का भविष्यवाणी करने के मूड मे नही हू लेकीन यह भीङ देख इतना जरूर कहा जा सकता है की इलियास जी ने भी आज यह भीङ देख यह जरूर सोच लिया होगा की मेरा 35 साल की संघर्ष का कुछ फल मिलना शुरू हो चुका है।


अब देखना यह है की इलियास जी की 35 साल की अपनी संघर्ष और इस विधानसभा को अपनी परिवार की खुन से सींचे गये भूमि से इन्हे किस प्रकार का जनता फल देती है चुंकि इलियास जी की जीवन इस आस मे समाजवादी पार्टी मे कट गई थी की कभी ना कभी इस पार्टी के द्वारा मुझे भी टिकट मिलेगा और जनता का सेवा मै भी करूंगा लेकीन इस धरती पर अपने दामाद की बलिदान की दर्द को सहने के बाद बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर लङना पङेगा यह कभी इन्होने सोचा भी नही होगा! लेकीन सपा के द्वारा किया गया आघात के बाद अब यह टूट चुके थे और इनकी जीवन और उम्र उस मोङ पर खङी थी की अब नही तो कभी नही….. फिर इन्होने बहूजन को अपना भाग्यविधाता मानते हुए इनकी शरण ली और अब देखना है की बहूजन इन्हे इस दर्द को कम करने मे कितनी मदद कर पाते है क्यो की दरवाजे पर खाली हाथ आये किसी फकीर को भी कोई व्यक्ति बिना कुछ दिये वापस नही भेजता है फिर तो यह गरीब-असहाय-पिङादायी-प्रत्याशी तो आपके घर का बेटा है! देखा गया है की मुस्लिम वर्ग भी बढ चढ़कर अपने नेता को ताज पहनाने की ओर अग्रसर है और खासतौर से बहूजन और मुस्लिम समुदाय वर्ग के लिये यह वह शानदार मौका इश्वर/आल्हा ने दिया है की आप लोग आगे बढो और अपना भविश्य का नेता चुन लो क्यो कि चुनने की बारी आई है! अगर अभी नही चुना तो फिर यह मौका कभी नही मिलने वाला है क्यो कि यही आपके घर का असल बेटा और नेता है!
इन्हे रूकने मत देना,
इन्हे झुकने मत देना,
इन्हे टूटने मत देना!

बहूजनो आपकी आवाज हैं और सर्व समाज के अभिमान हैं।
मुहम्मद इलियास अंसारी

रिपोर्टर एसानुल हक IBN न्यूज 24 × 7 कुशीनगर

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