फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट
फरीदाबाद:गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग के आदेशानुसार वीर बाल दिवस और गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर विशेष कार्यक्रम जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड के सौजन्य से आयोजित किया गया।
जेआरसी और एसजेएबी अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने अधर्म व अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष के अनन्य प्रतिमान,अद्वितीय योद्धा, सिखों के दशम गुरु,महान संत और खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह महाराज के प्रकाश पर्व पर उन्हें कोटिशःनमन करते हुए कहा कि आपका त्यागमय जीवन धर्म व मानवता की रक्षा को समर्पित रहा और आप के आदर्श मानव सभ्यता हेतु अनमोल पाथेय है सिखों के दसवें और अंतिम गुरु,गुरु गोविंद सिंह अद्वितीय वीर संत थे।
वाहे गुरु जी का खालसा,वाहे गुरु की फतेह जैसे वाक्य गुरु गोविंद सिंह की वीरता को प्रदर्शित करते हैं। 15वीं सदी में गुरु नानक ने सिख पंथ की स्थापना की। गोविंद सिंह के पिता गुरु तेग बहादुर भी इस पंथ के गुरु थे।
उन्होंने मुगलों के अत्याचारों के समक्ष कभी भी घुटने नहीं टेके और खालसा पंथ की स्थापना की। वर्ष 1708 में 7 अक्टूबर को वे मुगलों के साथ लड़ाई में बलिदान हुए।उन्होंने सदा प्रेम,सदाचार और भाईचारे का सन्देश दिया। किसी ने गुरुजी का अहित करने का प्रयास भी किया तो उन्होंने अपनी सहनशीलता,मधुरता,सौम्यता से उसे परास्त कर दिया। गुरु की मान्यता थी कि मनुष्य को किसी को डराना भी नहीं चाहिए और न किसी से डरना चाहिए।
वे अपनी वाणी में उपदेश देते हैं भै काहू को देत नहि,नहि भय मानत आन। वे बाल्यकाल से ही सरल,सहज, भक्ति भाव वाले कर्मयोगी थे। उनकी वाणी में मधुरता,सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है।
प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को गुरु की शिक्षाओं और आदर्शों को जीवन में आत्मसात करने के लिए कहा।
इस अवसर पर अजय गर्ग,राजेश भाटी,अध्यापिका किरण और अन्य सभी
अध्यापकों ने डिजिटल बोर्ड के माध्यम से गुरु गोबिंद सिंह के जीवन चरित्र और शिक्षाओं से अवगत करवाया। प्राचार्य मनचंदा ने गुरु गोबिंद सिंह की शिक्षाओं को आत्मसात करने और आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।