टीम आईबीएन न्यूज
राकेश की रिपोर्ट
गाजीपुर : बाढ़ पीड़ितों को दिया जाने वाला हजारों किलो आलू गड्ढे में फेका, वीडियो वायरल।
राहत शिविर पर तैनात लेखपालों और कर्मचारियों की लापरवाही से हजारों किलो आलू सड़ गया गंगा के रौद्र रूप को देखते हुए सरकार ने बाढ़ से घिरे पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए हर जगह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी से घिरे लोगों के लिए बाढ़ राहत शिविर बनाया है। करंडा ब्लाक में इण्टर कालेज करंडा, इण्टर कालेज गोशंदेपुर, और प्राथमिक विद्यालय दीनापुर में प्रशासन द्वारा अस्थाई बाढ़ राहत कैम्प बनाकर पीड़ितों को राहत सामग्री, दवा, पशुओं का चारा सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं देने की व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं ।
इस वर्ष प्रशासन ने बाढ़ आने से पहले ही पूरी तैयारी कर ली है , लेकिन सरकार की मंशा को उसके ही अधीनस्थ नक्कारे कर्मचारी विफल करने में लगे हैं। बाढ़ राहत शिविर दीनापुर पर बाढ़ प्रभावित गांवों तुलसीपुर, रफीपुर, शेरपुर तथा महाबलपुर के लोगों को राहत सामग्री वितरित की जा रही थी।
राहत शिविरों पर तैनात लेखपालों की मनमानी और लापरवाही से पीड़ितों को दी जाने वाली राहत सामग्री में सब्जी खाने के लिए जिला मुख्यालय से आया आलू सड़ा था।
लगभग 25 कुंतल आलू सड़क के किनारे फेक दिया गया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।लेखपालों की मनमानी यही नहीं रूकी, राहत वितरण सूची पर प्रति व्यक्ति को 10 किलो आलू देना भी दिखा दिया। जबकि आलू सड़ गया था और सड़क किनारे फेकने की बात स्वयं लेखपालों ने भी स्वीकार की है।
आपदा में भी अवसर ढूढ लेने वाले भ्रष्ट लेखपालों व अन्य कर्मचारियों पर कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बहुत आलू वितरित करने से पहले ही बेच दिया गया। भयानक आपदा में अपने घर द्वार छोड़कर सड़क किनारे और खुले मैदान में रहने को मजबूर पीड़ितों को राहत सामग्री देने में इतनी बड़ी लापरवाही कर्मचारियों की मनमानी और अमानवीयता को दर्शाता है।
अब देखना यह होगा कि डीएम आर्यका अखौरी ऐसे सभी कर्मचारियों पर किस तरह की कठोर कार्रवाई करती है।