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अंबेडकरनगर जेल प्रशासन की एक अनोखी पहल जेल अधीक्षक हर्षिता मिश्रा के द्वारा कैदियों के लिए किया गया होली मिलन समारोह

 

अंबेडकरनगर ब्यूरो चीफ मुकेश मिश्र

जेल प्रशासन के स्टाप ने भी जेल में बंद कैदियों से संग खूब खेली होली

अंबेडकरनगर 19 मार्च – एक तरफ जहां पूरे देश में होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसे में समाज का वह तबका, जो किसी कारण से जेल में बंद है, और अपने परिवार के बीच होली का त्योहार नहीं मना पा रहा है, उन सबके लिए अंबेडकरनगर जेल प्रशासन ने एक अनोखी पहल करते हुए जेल अधीक्षक, हर्षिता मिश्रा द्वारा होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस जेल में कैदियों को समाज से जोड़ने के लिए जेल अधीक्षक, हर्षिता मिश्रा द्वारा लगातार अथक प्रयास किए जा रहे हैं। जिला जेल में विचाराधीन व सज़ा काट रहे सभी क़ैदियों ने आज रंगों के इस महापर्व को जेल परिसर में बड़े ज़ोर-शोर से मनाया। होली का खुमार अंबेडकरनगर जेल में बंद क़ैदियों पर भी खूब परवान चढ़ा। अधीक्षक ने रात्रि में होलिका-दहन विधिवत् मंत्रोच्चार के साथ किया। इसके बाद जैसे ही होली का यह उत्सव शुरू हुआ, कौन सज़ा काट रहा है, और कौन स्टाफ़ है, इसमें अंतर कर पाना मुश्किल हो गया। क़ैदियों ने ढोल की थाप पर अत्यंत उल्लास से नाचकर और एक दूसरे को रंग लगाकर यह त्योहार मनाया। क़ैदियों का दावा था, कि आज जेल पूरी तरह से सुधार घर में बदल चुका है। और अधीक्षक महोदया ने क़ैदियों की बेहतरी के लिए अनेक कार्यक्रम जेल में ही आयोजित किये हैं। पूरे देशवासियों को होली की बधाई देते हुए इन क़ैदियों ने कहा कि आज के दिन उन्हें अपने घर वालों की काफ़ी याद आ रही है; वहीं, जेल के अधिकारियों की सहृदयता के कारण हमारी भावनाओं का पूरा ख्याल रखते हुए जेल में हर त्योहार को धूमधाम से मनाने के हम लगभग आदी हो चले हैं। आज उन सबके लिए विशेष भोजन तथा गुझियां भी बनवाई गई थीं। हर बैरेक, अस्पताल, पाठशाला में सब एक साथ संगीत वाद्य-यंत्रों की धुन पर अति सौहार्दपूर्वक मस्ती में झूम-झूम कर एक-दूसरे के गले लगते व बड़ों के पैर छूते नज़र आ रहे थे। अबीर, गुलाल हवा में उड़ते हुए माहौल को और भी अलमस्त बना रहा था। विशुद्ध प्रेमयुक्त और रसमय समां था, कहीं कोई दुर्भाव नहीं, कहीं कोई बनावटीपन नहीं। घर की याद मन में थी भी, तो भी अधिकारियों के इस अपनेपन के कारण धूमिल पड़ती हुई सी !! कैदी
जयराम और हरेराम ने सजल नेत्रों से अत्यंत मर्मस्पर्शी शब्द कहे, कि “यदि किसी भी जेल में हमें इंसानों जैसा अपनत्व मिले, तथा कैदियों के दुःख को जिस तरह इस जेल में समझा जाता है;और उसे दूर करने का प्रयास किया जाता है, वैसा वातावरण मिले; तो हम सब अपने आप में सुधार लाने को उद्यत हो ही जायेंगे, इसमें कोई शक नहीं है। बलिया से आए बंदियों ने इस कारागार जैसी व्यवस्थाऐं कभी न देखी होने का दावा किया। वे सब यहां बडे़ ही चैनो-अमन से रह रहे हैं, घर से दूर हैं, तो फोन पर घरवालों, दोस्तों व वकील से बात हो ही जाती है। कैशलेस कैंटीन से वे अपनी ज़रूरत का सामान ले लेते हैं। भ्रष्टाचार से मुक्त जेल में उनको किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।

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