ब्यूरो रिपोर्ट सत्यम सिंह IBN NEWS अयोध्या
अयोध्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट कहलाने वाली भगवान राम की सबसे ऊंची 250 मीटर प्रतिमा स्थापना की योजना पिछले साढ़े चार साल में पहला पड़ाव नहीं पार कर सकी है।
इस योजना में अड़चन दूर होने का नाम नहीं ले रही है और न ही जिला प्रशासन किसानों को जमीन देने के लिए मना पाने में सफल रहा जबकि सब रणनीति अपनाई जा चुकी है। ऐसे में अब शासन ने अपनी नीति बदली है और किसानों को चार गुना जमीन का मूल्य दिलाने के लिए पर्यटन विभाग के बजाय आवास विकास परिषद की ओर से जमीन खरीदने का निर्णय लिया गया है।
यह जानकारी अयोध्या मंडल के उपनिदेशक पर्यटन आरपी यादव ने दी। उन्होंने बताया कि नगर निगम का क्षेत्र होने के कारण नियमानुसार सर्किल रेट का दोगुना मूल्य ही पर्यटन विभाग की ओर से दिया जाना संभव था। उन्होंने बताया कि यह एक बड़ी विसंगति थी कि एक तरफ उसी गांव में आवास विकास परिषद ग्रीन फील्ड टाउनशिप के लिए किसानों को चार गुना मूल्य दे रहा है तो दोगुना मूल्य पर दूसरे किसान पर्यटन विभाग को जमीन कैसे दे सकते थे। उन्होंने बताया कि पर्यटन विभाग शासनादेश के बाहर जाकर कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। जबकि इसके विपरीत आवास विकास परिषद को अनेक अधिकार प्राप्त है।
आवास विकास परिषद ने नव्य अयोध्या परियोजना के अन्तर्गत प्रस्तावित ग्रीन फील्ड टाउनशिप योजना के संदर्भ में 11 हेक्टेयर भूमि बैंक बनाने के लिए हाइवे के किनारे के तीन ग्रामसभाओं शाहनेवाजपुर, मांझा बरहटा व मांझा तिहुरा की जमीनों को चिह्नित किया था। उधर नगर निगम के विस्तार की अधिसूचना जारी होने के बाद यह ग्रामसभाएं शहरी क्षेत्र का हिस्सा बन गयीं। नियमानुसार शहरी क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के लिए काश्तकारों को सर्किल रेट का दोगुना मूल्य भुगतान ही अनुमन्य था। इसके कारण आवास विकास परिषद के प्रस्ताव पर शासन ने 17 मार्च 2021 को जारी शासनादेश के अन्तर्गत विशेष परिस्थितियों में शाहनेवाजपुर व मांझा बरहटा को ग्रामीण क्षेत्र घोषित किया था। इसके कारण जमीन प्राप्त करने के बदले में सम्बन्धित काश्तकारों को आवास विकास परिषद की ओर से चार गुना मूल्य का भुगतान किया जा रहा है। आवास विकास परिषद ने पर्यटन महकमे की चिह्नित भूमि को अपनी अधिसूचना से पहले बाहर रखा था। अब पुन: अधिसूचना संशोधित की जाएगी।
भगवान राम की प्रतिमा स्थापना के मामले को लेकर पर्यटन विभाग की अधिसूचना जारी होने से पहले मांझा बरहटा के किसान बंदोबस्त की मांग को लेकर संघर्षरत थे। इस बीच योजना के प्रस्ताव को ध्यान में रखकर किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक साल में बंदोबस्त कराने का आदेश पारित किया। उधर हाईकोर्ट के आदेश के बाद सहायक भूलेख अधिकारी(एआरओ) की ओर से बंदोबस्त की कार्यवाही शुरू की गयी लेकिन प्रक्रिया इतनी धीमी रही कि देखते देखते समय पूरा हो गया लेकिन कार्यवाही अभी अधूरी ही है। किसान नेता अवधेश सिंह ने बताया कि प्रशासन की मानसिकता को देखकर अवमानना याचिका कर दी गयी है। बताया गया कि एआरओ कार्यालय की ओर से हाईकोर्ट में आवेदन कर अतिरिक्त एक साल का समय मांगा गया है जिस पर किसानों की आपत्ति दाखिल हुई है लेकिन केस लिस्ट नहीं हो पाया है।