महिलाओं ने नशा मुक्त गांवों के लिए संघर्ष, घरेलू हिंसा से सुरक्षा और बालिका
मीरजापुर। पर्यावरण और सामाजिक क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने वाली ग्रीन आर्मी की महिलाओं को महामहिम राज्यपाल ने किया सम्मानित।
अहरौरा क्षेत्र के जंगलमहाल बरही में गुरुवार की सुबह राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा ग्रीन आर्मी महिलाओ से संवाद एवं साईकिल वितरण तथा सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को स्वीकृति-पत्र/प्रशस्ति पत्र एवं विन्ध्य स्वच्छता प्रतिष्ठान की चाभी आदि वितरण किया गया।
कार्यक्रम के पहले सर्वप्रथम ग्रीन आर्मी महिलाओं द्वारा नशा मुक्त के सम्बंध में सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रस्तुतिकरण किया। इसके बाद राज्यपाल ने स्पानरशिप योजना के तहत शाहिद चंद्र प्रकाश पटेल के पत्नी स्नेहा पटेल व पुत्र आयांश को लाभार्थी प्रमाण पत्र वितरण किया।
और ऋण वितरण स्वयं सहायता समूह के तीन महिला, सविता, रेखा देवी, ममता मौर्या को 7.84 करोड़ का चेक तथा बैंक सखी को प्रशस्ति पत्र, विद्युत सखी को थर्मल प्रिंटर और ओडिओपी वित्त पोषण योजना के लाभार्थी रामकुमार, दुर्गवाती को 9 लाख का चेक, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के लाभार्थी संदीप कुमार अग्रहरी 10 लाख व पवन को 5 लाख का चेक। विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत, कंचन को मशीन, कृष्णावति को सिलाई वितरण किया गया।
इसके साथ प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री आवास योजना के एक-एक लाभार्थी को चाभी वितरण किया गया। उद्यान विभाग के एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के दो लाभार्थियों को चाभी (पावर ट्रिलर) वितरण। कृषि विभाग यंत्रीकरण के दो लाभार्थी को प्रमाण पत्र। विन्ध्य प्रतिष्ठान के केयर टेकर को चाभी व दो सफाई कर्मी को जैकेट।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा के एक लाभार्थी को 18 लाख का चेक। ग्रीन आर्मी के महिला को साइकिल, साड़ी, कम्बल, टीबी किट वितरण किया गया। और राज्यपाल ने ग्रीन आर्मी के संस्थापक रवि मिश्रा को चेक वितरण किया।
इसके बाद राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने अपने संबोधन में ग्रीन आर्मी की महिलाओं के योगदान को सराहा गया। मौजूद ग्रीन आर्मी के महिलाओं को चुनौती भरे सफर की जानकारी दी और गांवों को नशा मुक्त बनाने में संघर्ष और पीड़ा साझा किया।
घरेलू हिंसा से आम महिलाओं को बचाने के साथ बालिका शिक्षा के क्षेत्र में किए कार्यों की जानकारी दी।
और उन्होंने बताया कि महिला सुरक्षा के क्षेत्र में ग्रीन आर्मी ने अहम योगदान दिया है। पूरे देश में ग्रीन आर्मी का गठन होना चाहिए।
इसी दौरान कैबिनेट मंत्री आशिष पटेल, विंध्याचल मंडलायुक्त, डीआईजी आर पी सिंह, जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन, एसपी अभिनंदन, सीडीओ विशाल कुमार, एसडीएम चुनार राजेश वर्मा, न्यायिक एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार सहित कई थानों की पुलिस फोर्स व पीएसी बल मौजूद रही।
ग्रीन आर्मी महिलाओं के कार्य
घरेलू हिंसा का शिकार महिलाओं को आजाद करा रही ग्रीन आर्मी
महिलाएं आस-पास के कारखानों में काम कर परिवार की आर्थिक सहायता कर रही हैं। महिलाओं पर होने वाले उत्पीडन यौन और घरेलू हिंसा को रोकने के लिए दुनिया में तमाम आवाजे उठी हैं।
लेकिन उसके बावजूद भी महिलाओं पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे। ऐसे में उत्तरप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में ग्रीन आर्मी नामक संगठन महिलाओं पर हो रहे उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज उठा रही है।
पुरूष शराब पीकर महिलाओं के साथ हिंसा करते हैं, इसलिए ग्रीन आर्मी इस समस्या की जड़ शराब के ठेके और जुआ के अड्डों को बंद करवा रही हैं।
क्या है ग्रीन आर्मी
ग्रीन आर्मी महिलाओं का एक संगठन है, जो महिलाओं से दुर्व्यवहार करने वाले पुरुषों से सुरक्षा प्रदान करा रही है। 2014 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों ने मिलकर बनारस के कुशियार गांव में 25 महिलाओं की टीम बनाकर ग्रीन आर्मी की शुरूआत की।
इसमें ज्यादातर दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ी जाति की महिलाएं शामिल है। जिसका उद्देश्य समाज के पिछड़े वर्गों की महिलाओं को घरों से बाहर लाने और उत्पीडऩ, यौन व घरेलू हिंसा के खिलाफ खड़े होने के लिए सशक्त बनाना है।
ये महिलाएं हाथों में लाठिया, हरी साड़ी पहने और घूंघट में घूमती है। ये महिलाएं न केवल घरेलू हिंसा को रोकती है बल्कि दहेज प्रथा, अंधविश्वासी रीति-रिवाजों और शराब व जुआ के खिलाफ भी लड़ती है।
इसी के साथ बालिकाओं को शिक्षित करने की दिशा में भी काम करती है। उनका काम न सिर्फ पुरुषों का व्यक्तित्व निखारना है बल्कि उनके गांवों की स्थिति भी सुधारना है। इस आर्मी का कार्य देखकर आस-पास की कई ग्राम पंचायतों भी इन्हें आमंत्रित कर रही हैं।
ग्रीन आर्मी को मिला पुलिस का सपोर्ट
स्थानीय पुलिस प्रशासन भी इन महिलाओं का सपोर्ट करती हैं। उन्होंने इन महिलाओं को पुलिस ‘पुलिस मित्र (मित्र) आईडी कार्ड’ दिए हैं। ग्रीन आर्मी स्थानीय अधिकारियों के अनुपालन में कार्य करती हैं। जरूरत पडऩे पर पुलिस की मदद लेती हैं।
पुलिस इन महिलाओं की मदद से कई गांवों में महिलाओं और बुजुर्ग के खिलाफ होने वाले अत्याचार रोकने में सफल हुई हैं। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान ग्रीन आर्मी ने महिलाओं को मतदान के लिए जागरूक किया था, जिसका बहुत असर पड़ा। इलेक्शन ऑप इंडिया ने महिलाओं की सरहाना करते हुए सम्मान किया ।
6 महीने में बंद करवा देती हैं जुआ और शराब
एक निजी संस्था शुरूआत में महिलाओं की काउंसलिंग की जाती है। उसके बाद उन्हें व्यक्तित्व विकास और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाता है।
ढ़ाई महीने बाद ये महिलाएं हरी साड़ी पहनकर पूरे गांव का भ्रमण करती और जहां शराब पीकर जुआ खेलते वहां वो जाकर खड़ी हो जाती। इस टीम का कोई सामना नहीं कर पाता है। अहिंसा इनका प्राथमिक उद्देश्य है।
पुरुषों को परामर्श देने और जब चीजें नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तभी ये लाठियां हथियार बनकर सामने आती हैं। छह महीने में ये अपने गांव में शराब और जुआ बंद करवा देती है। इससे गांवों में घरेलू हिंसा कम हो गई है।