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गोरक्षपीठाधीश्वर आज चढ़ाएंगे गुरु गोरखनाथ को लोक आस्था की खिचड़ी

बाबा को चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर वितरित होता है जरूरतमंदों में

लाखों की संख्या में जुटेंगे श्रद्धालु, गुरुवार शाम से पहुंचने लगे आस्थावान

रिपोर्ट ब्यूरो गोरखपुर

गोरखपुर। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ पंथ की विशिष्ट परंपरानुसार शनिवार को शिवावतारी गुरु गोरखनाथ को लोक आस्था की खिचड़ी चढ़ाकर समूचे जनमानस की सुख समृद्धि की मंगलकामना करेंगे। पूरी प्रकृति को ऊर्जस्वित करने वाले सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक को समर्पित है। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है। मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी भी कोई जरूरतमंद पहुंचा, खाली हाथ नहीं लौटा। ठीक वैसे ही, जैसे बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मन्नत मांगने वाला कभी निराश नहीं होता।

शुक्रवार रात 8 बजकर 49 मिनट पर सूर्यदेव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते ही मकर संक्रांति का शुभारंभ हो गया। ऐसे में अरुणोदय काल में मकर संक्रान्ति का महापर्व शनिवार को मनाया जायेगा। इस दिन उत्तर प्रदेश, बिहार तथा देश के विभिन्न भागों के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी कुल मिलाकर लाखों की तादाद में श्रद्धालु शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाएंगे। आनुष्ठानिक कार्यक्रमों का शंखनाद शनिवार भोर में करीब तीन बजे ही हो जाएगा। भोर में चार बजे सबसे पहले गोरक्षपीठ की तरफ से पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ खिचड़ी चढ़ाकर बाबा को भोग अर्पित करेंगे। ततपश्चात नेपाल राजपरिवार की ओर से आई खिचड़ी बाबा को चढ़ेगी। इसके बाद मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे और जनसामान्य की आस्था खिचड़ी के रूप में निवेदित होनी शुरू हो जाएगी। मंदिर की ओर से कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। खिचड़ी महापर्व को लेकर मंदिर व मेला परिसर सज धजकर पूरी तरह तैयार है। समूचा मंदिर क्षेत्र सतरंगी रोशनी में नहाया हुआ है। यहां श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला गुरुवार शाम से ही प्रारम्भ हो गया है। मंदिर प्रबंधन की तरफ से उनके ठहरने और अन्य सुविधाओं का पूरा इंतज़ाम किया गया है। हजारों श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को भी बाबा को खिचड़ी चढ़ाई।

माहभर से अधिक चलेगा खिचड़ी मेला
गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है जहां जाति, पंथ, महजब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं। इसके परिसर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सबकी दुकानें हैं। यानी बिना भेदभाव सबकी रोजी रोटी का इंतजाम है। यही नहीं, मंदिर परिसर में माहभर से अधिक समय तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है।

त्रेतायुगीन है बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है। मान्यता है कि तत्समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार मे पहुंचे। मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया। कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं। उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए। भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और यहीं धूनी रमाकर साधनालीन हो गए। उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे। इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई। तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर अहर्निश जारी है। कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है।

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