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गाजीपुर: खुले आम प्रेक्टिस कर रहे मेडिकल कालेज व अस्पताल में तैनात चिकित्सक, जनप्रतिनिधि मौन सीएमओ लगा रहे राजधानी का चक्कर

टीम आईबीएन न्यूज़

राकेश की रिपोर्ट

गाजीपुर: मेडिकल कालेज व जिला अस्पताल में तैनात एक दर्जन से अधिक वरिष्ठ चिकित्सक व महिला चिकित्सा शहर के विभिन्न इलाकों व प्राइवेट अस्पतालो में खुले आम प्रेक्टिस कर रहे है जबकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी व सत्ता पक्ष से जुड़े राजनेता भी डाक्टरों की कमी बताकर आये दिन स्वास्थ्य सेवा लचर होने का संदेश देते रहते है। जबकि मुख्यमंत्री के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक का स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी सरकारी चिकित्सक कहीं भी निजी प्रेक्टिस नही कर सकता। ऐसा करने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। बावजूद इसके जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी व सुर्खियों में बने रहने वाले मेडिकल कालेज के प्राचार्य हाथ पर हाथ धरे बैठे गरीबों व बीमारों का मजाक बना रहे है।

नगर के ददरीघाट , लालदरवाजा, मिश्रबाजार, नई बस्ती, रौजा ओवर ब्रिज, रौजा बस स्टैण्ड, मऊ मार्ग, गोराबाजार, बड़ी बाग, शास्त्रीनगर, छावनीलाईन, फुल्लनपुर आदि जगहों पर मौजूद प्राइवेट अस्पतालों या खुद के किराये के निजी कमरों में मेडिकल कालेज व जिला अस्पताल के चिकित्सक व महिला चिकित्सक खुलेआम प्रेक्टिस करते है यहॅा तक कि कई जगह इन होनहार चिकित्सकों के नाम का बोर्ड भी सड़कों के किनारे लगाकर पीड़ितों को आकर्षित करने का खेल लगातार जारी है। जिले में पिछले दो महीने से स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्राइवेट व फर्जी अस्पतालों की जांच के लिये लगायी गयी टीम मौसम बदलने का आनन्द ले रही है। इस बीच टीम की ओर से किसी भी अस्पताल या फर्जी कर्मचारी की जांच या उसपर कार्यवाही नही की गयी।

सैदपुर तहसील मुख्यालय पर कुछ महीने पूर्व जच्चा बच्चा की मौत के बाद सीज हुये एस अस्पताल को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से हरी झण्डी मिलने के बाद पुनः शुरू कर दिया गया है। सैदपुर तहसील मुख्यालय पर एक दर्जन से अधिक फर्जी अस्पताल है। उनका न तो पंजीयन है और जिनका पंजीयन भी है उसके चिकित्सक अपना प्रमाण पत्र ठेके पर देकर अन्य जनपदों मे ंअलग से लूट मचायें हुये है। सैदपुर के मामले में केन्द्र प्रभारी संजीव कुमार सिंह के साथ-साथ जिला मुख्यालय पर जांच की कमान संभालने वाले अफसरों से भी की गयी शिकायतों के बाद हर मामला वसूली के बाद बन्द हो चुका है। मौजूदा मुख्य चिकित्साधिकारी पंचायत राज मंत्री का पैर छूने के बाद ऐसा चर्चा में आये कि जनपद में काम करना तो दूर लगातार राजधानी ही डेरा जमाये है जबकि जिम्मेदारी जन प्रतिनिधि व आला अफसर लगातार सरकार की ओर से होने वाली वर्चुअल बैठकों का आनन्द ले रहे है।

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