जरगो जलाशय में मात्र 9 दिनों के लिए पानी शेष होने से किसान धान की नर्सरी डालने को लेकर चिंतित
मीरजापुर। जनपद के बड़े बाधो में शुमार और अत्यंत ही महत्व पूर्ण परियोजना बाण सागर परियोजना से जुड़ चुका जरगो जलाशय इस बर्ष भारी गर्मी पड़ने के कारण सूख गया है।
जलाशय में पानी तलहटी में पहुंच गया है जलाशय से निकली नवकुंडी माइनर एव खुटहा माइनर बहुत पहले ही पानी छोड़ चुका है ।
जरगो मेन कैनाल पर भी मात्र नौ दिन नहर चलाने के लिए पानी बचा है जिससे किसान धान की नर्सरी डालने को लेकर चिंतित हैं।
वही बाण सागर परियोजना जरगो जलाशय के लिए हाथी दात साबित हो रहा है।
सात नदी सताइस नाले को बाध कर बनाया गया जरगो जलाशय का निर्माण द्वितीय पंचवर्षीय योजना में हुआ था ।
और यह बाध 1956 से शुरू होकर 1959 मे पूर्ण हुआ था।
जब बाध का निर्माण हुआ था तो उस समय जलाशय का पानी चंदौली जनपद के उत्तरी छोर पर स्थित धानापुर तक सिंचाई के लिए दिया जाता था लेकिन पिछले दो दशक से जरगो जलाशय से 20 किलोमीटर के क्षेत्र में भी किसानो को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है ।
जिसका कारण है कि लगातार वर्षा कम होने के कारण बांध की जलसंभरन क्षमता में कमी आना है।
जलाशय के जे ई त्रिपुरारी श्रीवास्तव ने बताया की बाध की जल संभरण क्षमता 5325 मिलियन क्यूविक फीट है।
और बाध में 322 फीट तक पानी रोका जाता हैं।
लेकिन पिछले कई सालों से बाध अपनी क्षमता के अनुसार नही भर पाया है।
तीसरी बार सुखा बाध
बाध का निर्माण 1959 में होने के बाद 2024 तक के बीच तीसरी बार यह स्थिति पैदा हुई है की बाध में इतना कम पानी बचा है।
किसान नेता एव किसान कल्याण समिति जरगो कमांड के महामंत्री हरिशंकर सिंह ने बताया की 1968 मे जब सुखा पड़ा था उस समय बाध सुख गया था इसके बाद यही स्थिति 2005 मे पैदा हुई थी।
इस बार 2024 मे बाध सुख गया और मात्र 279,30 फीट पानी बचा है जो तलहटी में पहुंच गया है और सिर्फ जरगो मेन कैनाल चलाने के लिए नौ दिनो का पानी अवशेष है।
प्रतिदिन 20 क्यूसेक पानी नल से जल के लिए दिया जाता हैं
बाध के जे ई त्रिपुरारी श्रीवास्तव ने बताया की बाध में जो पानी शेष है उसमे से प्रतिदिन 20 क्यूसेक पानी जल जीवन मिशन के तहत नल से जल की सप्लाई हेतू दिया जाता हैं।
इसके कारण वास्पिकरण एवं पशुओं के लगातार पानी पीने के कारण प्रतिदिन बाध में पानी कम हो रहा है ।