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सिवान :-क्यूँ कोई मां ये नहीं समझती की बलात्कारी बेटे के होने से बेहतर है उसका बांझ होना


IBN24×7NEWS राजीव रंजन कुमार सिवान बिहार
राजेंद्र कालेजिएट में आशा रेपट्ररी छपरा के कलाकारों द्वारा मुक्ताकाश नाटक ओक्का-बोक्का का मंचन किया गया। युवा रंगकर्मी जहांगीर खान द्वारा लिखित व निर्देशित ये मुक्ताकाश नाटक महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार की घटनाओं पर अधारित है।
जिसमे पीड़िता संवैधानिक न्याय प्रक्रिया और समाज के दोहरे चरित्र के पंजे में फंस के अपनी जान गवा देती है।
और उसे न्याय भी नहीं मिलता।
अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए पीड़ित लड़की का पिता चीख चीख कर सब को बताता रहता है कि इस पुरुषवादी व्यवस्था में बलात्कार की घटना होने पर महिलाये एक साथ आकर उसका विरोध क्यूँ नहीं करती।
क्यूँ कोई पत्नी ये नहीं मानती की बलात्कारी पति के होने से अच्छा है उसका विधवा होना।
महिलाएं अगर इस तरह से घर में बलात्कारी पुरुषों से सख्ती से निपटे तो शायद ऐसी वारदात कम हो जायेगी।
इसी तरह की समाजिक कुरितियों पर चोट व पड़ताल करता है मुक्ताकाश नाटक ओक्का- बोक्का।
जिसका मंचन छपरा नगर के राजेन्द्र कालेजिएट स्कूल कैंपस मे स्थानीय रंगकर्मी इमरान
कृष्णा
प्रवीण
स्नेहा
रंजीत
विक्रम सोनू
अभिषेक अनूप के द्वारा किया गया।

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