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लखनऊ – हज़रत अली (अ. स.)पर बयान देकर घिरे सीएम योगी

हिन्दू, मुस्लिम, सिख व ईसाई धर्मगुरुओं ने की निंदा
लखनऊ:मध्य प्रदेश के भोपाल की चुनावी सभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान, किया कि कांग्रेस अली को अपने पास रखे | हमारे पास तो बजरंग बली काफी हैं की हर तरफ निंदा हो रही है। मुस्लिम समुदाय में जहां आक्रोश व्याप्त है। वहीं, हिन्दू, सिख और ईसाई धर्मगुरुओं ने भी सीएम के बयान की निंदा की है। उलेमा व धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सीएम योगी से अपना बयान वापस लेने की मांग की है। कलात्मक रामायण परिसर के रूप में विकसित किए जाएंगे रामलीला मैदान, पौराणिक स्थलों के नाम पर बनेंगे प्रवेश द्वार
वहीं भाजपा से जुड़े मुस्लिम नेताओं ने सीधे तौर पर मामले में बोलने से परहेज किया है लेकिन दबी जुबान में कहा गया है कि राजनेतिक बयानों में धार्मिक हस्तियों को नहीं लाना चाहिए। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे से जुड़े कुछ सदस्यों ने सोशल मीडिया पर सीएम के बयान पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वे पार्टी में जरूर हैं | लेकिन हजरत अली के संबंध में इस तरह के बयान सहन नहीं करेंगे। कैथोलिक डायसीज ऑफ लखनऊ के चांसलर व प्रवक्ता फादर डोनाल्ड डिसूजा ने सीएम योगी के बयान की निंदा करते हुए कहा कि पूरी दुनिया भारत में सहिष्णुता की कायल है। चुनाव के समय ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो लोगों में कटुता पैदा करे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को सर्वधर्म समभाव की बात करना चाहिए न कि भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयान देना चाहिए।
तेलंगाना में एक रैली को संबोधित करते हुए एमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवेसी ने मुख्यमंत्री के बयान को संविधान की धज्जियां उड़ाने वाला बताते हुए कड़ी निंदा की। मुख्यमंत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे संविधान की धज्जियां उड़ाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान पर अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने कोई टिप्पणी नहीं की। ओवेसी ने कहा कि कोई अगर हद पार करेगा तो टोकना पड़ेगा। क्या कोई देश के संविधान की शपथ लेकर ऐसा बयान दे सकता है। क्या मुख्यमंत्री को इजाजत है कि वह इस तरह के बयान दें। उन्होंने कहा कि क्या देश में अली को मानने की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि अली को पहचानने के लिए अली को पढ़ो।
मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्यागिरि ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी एक संवैधानिक और महत्वपूर्ण पद है। इतने महत्वपूर्ण ओहदे पर बैठ कर ऐसी शब्दावली के प्रयोग से बचना चाहिए। पीएम हों या सीएम या किसी अन्य संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को ऐसी शब्दावली का प्रयोग नहीं करना चाहिए | जिससे किसी की भावनाएं आहत हों। मजलिस उलमा-ए-हिंद के महासचिव व इमामे जुमा मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने मुख्यमंत्री के बयान की कड़ी निंदा करते हुए मुख्यमंत्री से हजरत अली को लेकर दिये बयान पर स्पष्टीकरण देने की मांग की।
वहीं आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने मुख्यमंत्री से मुसलमानों से अपने बयान को लेकर माफी मांगने की भी मांग की। शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने मुख्यमंत्री के बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि राजनैतिक रैली में अहलेबैत का नाम लेना अफसोसनाक है। हजरत अली से केवल शिया ही नहीं बल्कि अहले सुन्नत समुदाय और हिंदू धर्म के मानने वाले भी बड़ी संख्या में श्रद्धा रखते हैं। मौलाना ने मुख्यमंत्री से अपना बयान वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि भविष्य में किसी भी राजनीतिक रैली में अहलेबैत का नाम नहीं लिया जाए।
मौलाना सलमान नदवी ने मुख्यमंत्री के बयान की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा कि राजनैतिक मंचों से धार्मिक हस्तियों का इस तरह नाम लेना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि हजरत अली का सम्मान न सिर्फ पूरी दुनिया का मुसलमान बल्कि दूसरे धर्मों के मानने वाले भी करते हैं। मुख्यमंत्री को अपना बयान वापस लेते हुए बयान के लिए माफी मांगना चाहिए।
दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने मुख्यमंत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हजरत अली को न सिर्फ मुसलमान बल्कि अन्य धर्मों के मानने वाले भी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान की कड़ी निंदा करते हुए मुख्यमंत्री से बयान पर माफी मांगने की मांग की।
इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि राजनैतिक दलों को चुनाव के मौके पर धार्मिक बातों से गुरेज करना चाहिए। धर्म का मामला संवेदनशील और लोगों की भावनाओं से जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम की महान हस्तियों का इस तरह से जिक्र करना नाकाबिले कबूल है। मुख्यमंत्री को अपने बयान पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन व अपने बयानों से विवादों में रहने वाले वसीम रिजवी ने मुख्यमंत्री के भाषण पर टिप्पणी करने के बजाए कहा कि राजनैतिक प्लेटफॉर्म से धार्मिक हस्तियों को बाहर रखना चाहिए। नेताओं को अपने भाषणों में ऐसे बयानों से परहेज करना चाहिए।
वहीं भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य बुक्कल नवाब ने सीधे तौर पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ स्वीकार नहीं है, लेकिन इस मामले पर कुछ नहीं बोलेंगे।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के राजेंद्र सिंह बग्गा ने मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए असहमति जताई। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। हम सेकुलर स्टेट में रहते हैं। मुख्यमंत्री को सर्वधर्म समभाव को बढ़ावा देना चाहिए, न कि इस तरह के बयान देने चाहिए, जिससे भावनाओं को ठेस पहुंचे।.

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