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बहराइच -परिषदीय विद्यालयों व सरकारी स्कूलों को प्रबुद्ध वर्ग से जोडने हेतु जिलाधिकारी द्वारा विद्यादान, एक आदर्श दान की शुरूआत


*बहराइच 12 अक्टूबर*
सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता के उन्नयन हेतु जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव के प्रयासों को अब किसी परिचय की आवश्यकता नहीं। जिलाधिकारी ने पहले तो ‘शिक्षा की डोर बहराइच की ओर’ नाम से शिक्षक प्रशिक्षण की एक ऐसी मुहिम चलायी जो अब गतिविधि आधारित प्रशिक्षण पर सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के समस्त परिषदीय विद्यालयों के लिए एक मॉडल बन चुका है। इसी बीच जिलाधिकारी ने बहराइच जिले में परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को अभिप्रेरित करने, उदासीन और अलग थलग पड़ चुके सरकारी स्कूलों को प्रबुद्ध वर्ग से जोड़ने हेतु ‘विद्यादान, एक आदर्श दान’ की शुरुआत की।
आज विद्यादान इस जिले में ही नहीं आस पास के अन्य जिलों में भी किसी न किसी अन्य नाम से संचालित हो रहा है। भारत सरकार की संस्था नीति आयोग ने भी जनपद की इस पहल को सराहा और अपने ट्वीटर से प्रधानमंत्री कार्यालय तक को ट्वीट किया। अभी विद्यादान एक आंदोलन के रूप में चल ही रहा है इसी बीच जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने जनपद की शिक्षा को मजबूत करने, शिक्षकों और प्रशिक्षकों के संबलन और संवर्धन हेतु एक नयी पहल की शुरुआत की। जनपद बहराइच में 150 आदर्श स्कूल अन्य विद्यालयों के लिए डेमोंस्ट्रेशन प्रस्तुत करेंगे। जनपद के सभी विकास खंडों में न्यूनतम 10 आदर्श विद्यालय गठित किए जाएगे। सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि ये आदर्श विद्यालय सैद्धांतिक रूप से अब तक चली आ रही मॉडल स्कूल अथवा आदर्श विद्यालय की परिपाटी से पृथक हैं।
जनपद के ये आदर्श विद्यालय भवन ढांचा, रंगाई रोगन से कहीं ज्यादा अपनी पेडागोजी, शिक्षकों के क्रियात्मक अनुसंधान (एक्शन रिसर्च), विद्यालय में संचालित बाल संसद व बाल मंत्रिमंडल और विद्यार्थियों के अधिगम परिणामों के लिए जाने जायेगें। अभी तक देखने में ये आता है कि आदर्श विद्यालय या मॉडल स्कूल के नाम पर भवन और कक्षा सुंदरीकरण को ही इतिश्री समझ लिया जाता है। बहराइच जनपद के आदर्श विद्यालयों की ये संकल्पना जमीनी हकीकत को स्वीकार करते हुये बच्चांे को सीखने के उन्नत और मौलिक अवसर उपलब्ध कराने की एक मुहिम है। ये आदर्श विद्यालय न केवल अपने बच्चों को शैक्षणिक या स्कालोस्टिक शिक्षा प्रदान करंेगे बल्कि जनपद के अन्य 3400 विद्यालयों के लिए भी एक प्रकार का डेमोंस्ट्रेशन स्कूल बनेंगे।
किसी भी शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान अमूर्त शैक्षणिक संकल्पनाओं को समझा पाना जटिल कार्य होता हैं लेकिन इन 150 डेमोंस्ट्रेशन स्कूल द्वारा शैक्षणिक संकल्पनाओं के क्रियान्वयन के उदाहरण सहजता से प्रस्तुत किए जा सकेंगे। इन डेमोंस्ट्रेशन स्कूल या आदर्श विद्यालयों में शिक्षा के स्कालोस्टिक पहलू के साथ साथ गैर-स्कालोस्टिक गुणों को भी विकसित किया जाएगा। अपने व्यवहार पर सोचना, मुश्किलों को सहन करना, आत्मविश्वास का होना, भावनाओं को समझना, अपने दैनिक जीवन में सौंदर्य और आनंद को तलाश कर पाना इत्यादि गैर-स्कालोस्टिक गुणों के उदाहरण हैं जिन पर काम करते हुये बहराइच एक नए कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।

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