बगहा पश्चिमी चंपारण दिवाकर कुमार
बगहा/रामनगर:-रामनगर प्रखण्ड स्थित मशान नदी पर डैम बनाने की माँग एक बार फिर लोगों द्वारा उठायी जाने लगी है। प्रत्येक वर्ष मशान नदी के कटाव के कारण हजारों एकड़ फसल बर्बाद होने के साथ सैकड़ों घर कटाव की चपेट में आ जाते हैं। कटाव से बचने के लिए पिछले दिनों हरिहरपुर गाँव के ग्रामीणों ने बाँध बनाना भी शुरू कर दिया है। ग्रामीण स्वयं से परिश्रम करके मिट्टी का बाँध बना रहे हैं ।
ग्रामीण रामपत यादव, श्रीराम उरांव, प्रमोद ठाकुर, रामविनय उरांव का कहना है कि प्रत्येक साल हजारों एकड़ में लगी फसल का कटाव होने के साथ सैकड़ों घर नदी में विलिन हो जाते हैं। सरकार को कटाव पीड़ितों के नाम पर हर साल लाखों रुपया खर्च भी करनी पड़ती है पर ग्रामीणों को कटाव से स्थायी निदान नहीं मिला पा रहा है।
ग्रामीण गुप्ता उरांव, रमेश फौजी, अविनाश उरांव का कहना है कि अंग्रेज काल में सरकार ने यहाँ पर डैम बनाने का निर्णय लिया था,जो अब तक नहीं हुआ है | बिहार और केन्द्र सरकार डैम बनाने के लिए निर्माण कार्य शुरू भी किया गया लेकिन सरकार बदलने के साथ निर्माण कार्य खटाई में पड़ गया।बताया जा रहा है, कि अगर मशान नदी पर डैम्प बन जाय, तो कटाव से मुक्ति मिलने के साथ असिंचित लाखों हेक्टेयर जमीनों के भाग जग जायेंगे और किसानों में यहाँ खुशी छा जायेगी।
स्टोनी नामक कार्यपालक अभियन्ता ने सर्वेक्षण करके अंग्रेजी सरकार को बताया था कि 350 वर्ग किलोमीटर में मशान नदी के ऊपर 5220 मीटर लम्बा 85 फीट ऊँचा डैम्प बनाकर बरसात का पानी रोका जाय। बाँध के दोनों बगल नहर का निर्माण करके रोके हुए पानी से असिचिंत जमीनों की सिंचाई की जाय।इस कार्य से बाढ़ कटाव पर नियंत्रण होने के साथ कटाव पर लोक लग जायी और फसल का पैदावार इस क्षेत्र में बढ़ जायेगी।
आगे यह भी बताया था कि इस कार्य में अवरोध पड़नेवाले पाँच हजार जनसंख्या वाले चार गाँवों को हटाकर अन्यत्र बसाया जाय। उक्त पदाधिकारी ने यह भी माना कि सिकरहना नदी में हर साल भयंकर बाढ़ आना मशान नदी का पानी गिरना ही है।सिकरहना नदी को आगे बूढ़ी गंडक नदी के नाम से जाना जाता है ,जो पुरे चम्पारण और उत्तर बिहार को डुबोने में अकेले कारगार होती है।
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