अहरौरा – मीरजापुर। पुलिस प्रशासन मनोज ठाकुर के नेतृत्व में अहरौरा बूढ़ादेई से चौक बाजार, तकिया, खरंजा, सम्मेतर होते हुए कन्हैयालाल गोला तक फ्लैग मार्च छ दिसम्बर के संवेदनशीलता को देखते हुए किया। किसी प्रकार की साम्प्रदायिक तनाव से निपटने के लिए पुलिस ने मुकम्मल तैयारी कर रखी थी। अहरौरा पुलिस की दूरदर्शिता का यह आलम रहा कि कुछ दिन पूर्व आसपी भिड़ंत में ही एक सम्प्रदाय विशेष के सैकड़ों लोगों को शांति भंग के आरोप में प्रतिबंधित कर दिया क्योंकि थाने के बाहर ही सदर चुनावी मुद्दे को लेकर ये लोग मारपीट कर लिये थे जबकि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने विजय जुलूस निकालने की तैयारी कर रखी थी जिसे शांति व्यवस्था के नाम पर प्रशासन ने मंजूरी ही नहीं थी। बताते चलें कि छ दिसम्बर सन उन्नीस सौ बयानवें अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाये जाने के बाद एक पक्ष विजय दिवस तो दूसरा पक्ष काला दिवस के रूप में देखता है। अभी हाल ही में जनपद मीरजापुर साम्प्रदायिक तनाव से तथाकथित उन्मादियों के कारण जल उठा था जिससे भाई चारे की भावना पर सम्प्रदायवाद मानसिक रूप से हावी होता जा रहा था। अभी बुलंद शहर की आग ठंडी ही नहीं हुई थी कि छ दिसम्बर का आना प्रशासनिक अमले के माथे पर बल डाल दिये थे। आगामी चुनाव सन दो हजार उन्नीस के मद्देनजर राजनीतिक रोटियाँ साम्प्रदायिकता की आग पर सेकी जाने की संभावना बनी हुई है जिसके कारण प्रशासन का चिन्तित होना लाजिमी था लेकिन अहरौरा पुलिस की दूर दृष्टि से आम आदमी स्वयं को सही साबित करने में जुटे हुए प्रतीत होते हैं जिसमें कुछ तथाकथित नेतागण भी शामिल हैं।फ्लैग मार्च के दौरान हेलमेट से लेकर बड़े बड़े हथियारों का प्रदर्शन शान्तिप्रिय जनता में विश्वास जगा वहीं शातिर मानसिकता वाले विवेचकों के चूले हिल गयी है। शांतिपूर्ण ढंग से छ दिसम्बर बीतने के बाद आम जनता में संतुष्टि के भाव थे।
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