करजखोरों पर गिरी गाज इन के विरुद्ध वारंट निर्गत
बैंकों के द्वारा कर्ज लेकर इसकी राशि समय पर नहीं लौटाने के कारण सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया एवं भूमि विकास बैंक ने कार्यवाही करते हुए अग्रिम पाने वालों के विरुद्ध राशि नहीं लौटाने की क्रिया में पुलिस कप्तान जय कांत कांत से मिलकर इन के विरुद्ध वारंट निर्गत कराया है इन पर आरोप है कि विगत कई वर्षों में इन्होंने इन दोनों बैंकों से लाखों की अग्रिम की राशि बैंकों से प्राप्त की थी मगर समय बीतता गया और अग्रिम की राशि बैंकों में नहीं ले पाई जा सके जिस से बैंकों के कार्यकाल में काफी कठिनाइयां आ रही थी और दूसरे दूसरे लोगों को बैंकों के द्वारा अग्रिम देने में काफी कठिनाइयां हो रही थी।
बैंकों के प्रबंधकों ने इन कर्ज खोरा के विरुद्ध एनपीए को लेकर बैंकों ने इन लोगों के विरुद्ध नीलम पत्र वाद दायर किया था जिसके वजह कर नीलाम पत्र पदाधिकारी ने इन लोगों के विरुद्ध वारंट निर्गत कर दिया है तथा इसकी तामिला कराने के लिए पुलिस पदाधिकारियों से अनुरोध किया है। जिला नीलम पदाधिकारी ने भगा दिया एवं नगरिया गंज अनुमंडल के 61 कर्ज खोरों पर वारंट जारी करवाया है तथा इसे तामिला कराने के लिए तीनों अनुबंधन ओके पुलिस पदाधिकारियों से इस पर अमल करने की तथा गिरफ्तार करने की मांग की है। गिरफ्तार होने वालों में कुशवाहा टोला धूम नगर नौतन प्रखंड के राजू रावत गुलाबपुरा के मदन राम सुखवा टोला के बनारसी पासवान बगड़िया के मोतीलाल राम कोरिया टोला के गणेश महत्व, दशरथ दास मनोज मिश्रा कलामुद्दीन लोरिया के जलील साह, शकील शाह कमर रियाज मियां तेलपुर के शेख मकसूद आलम चनपटिया के अखिलेश Dhoom नगर के किशोरी राम बहुअरवा साठी के शत्रुघ्न प्रसाद के अलावा बहुत सारे कर्जदारों पर वारंट निर्गत किया गया है। नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी राज मोहन झा ने आगे बताया कि अगर इन करजदारों ने समय पर ञृण नहीं चुकाया और गिरफ्तारी नहीं हो सकी तो इनकी संपत्ति को कुर्क कर लिया जाएगा तथा इससे मिलने वाली राशि को कर्ज साधन के रूप में बैंकों में राशि जमा कर दी जाएगी।
लोगों के अंदर यह आम बात बन गई है कि बैंकों से ऋण लेकर उसका उपयोग सही जगह नहीं करते अपने निजी काम में इस्तेमाल कर लेते हैं बैंकों के स्टॉल मैंट राशि को समय पर जमा नहीं करते हैं जिससे दूसरे लोगों के लिए अवरोध बन जाता है इसके साथ ही बैंकों के सामने भी बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है बैंक भी यह नहीं चाहते हैं कि कर्जदारों से ऋण की वसूली करने में उनके विरुद्ध वारंट निर्गत किया जाए मगर मजबूर होकर बैंक प्रबंधकों के द्वारा राशि वसूल करने के लिए वारंट निर्गत करना मजबूरी बन जाता है।
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