फतेहपुर: अमौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं व साफ सफाई की सुरक्षा देने में बेबस
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमोली में चारों ओर अव्यवस्था का आलम है मरीजों को छोटी-छोटी बातों के लिए बाहर भटकना पड़ता है बाहर की दवाइयां लिखना आम बात है जबकि अस्पताल में अस्पताल की दवाइयों को जला दिया जाता है एवं दवाइयां द्वितीय तल में बरामदे में धूल खा रही हैं। गंदगी का आलम यह है चारों तरफ गुटखा मसाला पान की पीक रंगीन दीवालें मिल जाएंगी। आवारा कुत्ते निर्भीक होकर वहां विचरण करते हुए एवं जगह-जगह झुंड में सोते हुए मिल जाएंगे। जिन से बचते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान जाना पड़ता है कभी-कभी तो मरीजों से ज्यादा कुत्ते नजर आते हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 30 बेड की व्यवस्था है एवं सात डॉक्टर परमानेंट एवं छह संविदा कर्मचारी हैं । तीस बेड में ज्यादातर में चादरें नदारत मिलती हैं ।चारों तरफ गंदगी फैली हुई दिखती है। नए रजिस्टर जरूरी कागजात बरामदे में लापरवाह पड़े धूल खाते हुए स्वच्छ भारत मिशन पर अपने आंसू बहा रहे होते हैं और अंदर भी रजिस्टरों पर धूल की मोटी परत जमी रहती है। जगह-जगह जाले लगे हुए है। इमरजेंसी वार्ड में बिना गद्दे का स्टेचर एवं जहां गद्दे हैं वह भी गंदे एवं बदबूदार हैं। डॉ विमल चौरसिया के संरक्षण में यह सारी व्यवस्थाएं फल-फूल रही हैं किसी कर्मचारी को किसी भी प्रकार का सरकारी या प्रशासनिक भय नहीं है। मरीजों के प्रति लापरवाही एवं दुर्व्यवहार आम बात है। अस्पताल में जो सुविधाएं या मशीनें हैं उनका उपयोग नहीं किया जाता है। क्योंकि ऑपरेशन थिएटर का उपयोग ही नहीं किया जाता है । यहां डॉक्टर ना तो कभी भी समय से आते हैं और ना ही सभी डॉक्टर एक साथ उपस्थित मिलते हैं इसका कारण समस्त डॉक्टर स्टाफ का नगरों और महानगरों से प्रतिदिन आना जाना करने के कारण है।कानपुर में इन डॉक्टरों के निजी क्लीनिक में वहां पर बने नर्सिंग होमो मैं निजी प्रैक्टिस करने की वजह से यह डॉक्टर प्रतिदिन कानपुर से आते जाते हैं जिसके कारण मरीजों को हमीरपुर कानपुर जाकर इलाज कराना पड़ता है।यमुना व नोन नदी के किनारे पर बसे लगभग चार दर्जन से अधिक गांव की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह सीएचसी बनाई गई है किंतु नकारा साबित हो कर यहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर मात्र ठगा जा रहा है।
इन सारी वास्तविकताओं से इतर डॉक्टर विमल चौरसिया ने अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर जिले में अपने अस्पताल को एक नंबर का साबित करके इनाम भी ले रखा है ।जबकि सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि यहां गंदगी और अव्यवस्थाओं का बोलबाला है ग्रामीण एवं तिलहर की भोली-भाली जनता जो इसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आश्रित है उसे भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है एवं इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉक्टरों की लापरवाही व उदासीनता के चलते यहां के मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा प्रदेश व केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को सस्ती व सहजता से स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने का जो ढिंढोरा पीटा जा रहा है वह अमोली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पूरी तरह से नकारा साबित हो कर मरीजों को झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करा कर अपनी जिंदगी जोखिम में डालना पड़ रहा है। इस संबंध में कल 29 जून को जब प्रभारी डॉक्टर विमल चौरसिया सी0एच0सी0 में मौके में न मिलने से फ़ोन से बात करने का प्रयास किया गया तो दसियों बार फोन करने के बावजूद उन्होंने फोन ही नहीं उठाया ये हाल हैअमौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का|
रिपोर्ट संदीप कुमार ibn24x7news फतेहपुर
Tags उत्तरप्रदेश फतेहपुर
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