जंगल अब सुरक्षित, राजा आ गया
मिर्जापुर: अहरौरा बाजार से मात्र दो किमी दक्षिण से वन विभाग की जमीन लगती है। यही से जंगल का प्रवेश द्वार बन जाता है। जल प्रपात और पुरातात्विक धरोहरों का प्रतिनिधित्व करने वाली लिखनियां दरी के उपर पियरी नामक स्थान है जहां का बड़ा क्षेत्रफल मैदानी, कृषि योग्य तथा पशुपालन के लिए उपयुक्त है। यहां यह सब किया भी जाता है। इसके आगे तिलहवा जंगल बोलते हैं। हर पहाड़, हर झोर, हर जल स्त्रोत और हर ठौर का जंगली जीवन पर आश्रित मानव कुछ न कुछ नाम रखा है और जिसकी खोज जंगल में अभी तक नहीं हुई है वो आज भी बेनाम है। यहीं जगह जंगल में भूलभुलैया साबित होती है, यही शातिर जंगल के जानकारों को भी दिशाभ्रम होता है। तिलहवा जंगल में एक नील गाय की लाश को देखने का दावा हो रहा है, जिसके शरीर पर शेर प्रजाति के चिंह बताये जा रहे हैं।
अगल बगल बाघ की उपस्थिति होने की आशंका जताई जा रही है। लोग भयभीत है और प्रसन्न भी क्योंकि अगर राजा आया है तो जंगल सुरक्षित है। जंगल पर आश्रित जीवन व्यतीत करने वाले बचाऊ हरिजन निवासी बेलखरा ने बताया कि अब जंगल में डर पैदा हो गया है क्योंकि बाघ की आवाज भी सुनाये जाने का दावा हो रहा है। जंगल तो बहुत बड़ा है, क्षेत्रफल बड़ा होने के साथ अन्य जंगलों की सीमाओं को भी छूते हैं जहाँ बाघ की उपस्थिति मानी जाती है। अगर यह जंगल बाघ के अनुकूल रहा तो मानकर चलिए अहरौरा वन क्षेत्र को राजा मिल गया।
रिपोर्ट हरिकिशन अग्रहरि ibn24x7news मिर्जापुर
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