राकेश की रिपोर्ट
राजधानी लखनऊ समेत की प्रमुख जिलों में बड़ी-बड़ी संपत्ति खरीने वाले लोग अब आयकर विभाग के निशाने पर आ गए हैं. विभाग ने अब ऐसे लोगों की जांच शुरू की है जिन्होंने पिछले 16 सालों में बड़े प्लॉट या अन्य तरह की जमीनें खरीदीं है। गाजीपुर जिले मे भी ऐसे कारीगरों की संख्या सैकड़ो से अधिक है ।
आयकर की सख्ती के बाद जिले भर मे मौजूद ऐसे दागियों की सूची 200 पार हो गयी है जो तकरीबन तैयार है जिनकी संख्या और इसे पारदर्शिता से आगे बढाने के लिए जिलाधिकारी के निर्देश पर तेजी से काम चल रहा है।
इस लिस्ट में कई मंत्रियों से लेकर विधायक, बड़े-बड़े बिल्डर और अन्य व्यवसायों से जुड़े लोग फंसते नजर आ रहे हैं. आयकर विभाग अब ऐसे लोगों की कमाई और खर्चे की जांच करने की तैयारी में हैं.
आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति ईकाई ने तमाम जिलों के जिलाधिकारियों, विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों और आवास आयुक्त से एक जनवरी 2008 से अक्टूबर 2024 तक ऐसे लोगों की सूची मांगी हैं जिन्होंने एक हजार वर्ग मीटर से बड़े प्लॉट या बड़े भूखंड खरीदे हैं. ये संपत्तियां निजी या किसी कंपनी के नाम पर खरीदी गई हैं. इनमें लखनऊ समेत नोएडा, बरेली, कानपुर, मेरठ, अयोध्या और वाराणसी जैसे जिले शामिल हैं.
*आयकर विभाग की रडार पर आए ये अति खास लोग*
आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति ट्रांजेक्शन एक्ट 1988 के तहत ये जाँच शुरू करने जा रहा है. विभाग का मानना है कि पिछले कुछ सालों में लखनऊ समेत कई बड़े शहरों में बड़े स्तर पर जमीन की खरीद फरोख्त की गई है. 2008 से कई ऐसे लोग अमीर हुए हैं जिनकी स्थिति पहले उतनी अच्छी नहीं थी. जिसके बाद उन्होंने बड़ी-बड़ी जमीनें खरीदी हैं. विभाग का मानना है कि इस ख़रीद फरोख्त में कालेधन का इस्तेमाल हो सकता है.
विभाग ने मांगा संपत्ति का ब्योरा
विभाग को इस बात की पुख्ता जानकारी मिली है कि कुछ लोगों ने कंपनी बनाकर या फिर अपने रिश्तेदार या परिवार के सदस्यों के नाम संपत्ति खरीदी है. ऐसे में इन लोगों को बेनामी संपत्ति अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है. इन लोगों ने प्राइम लोकेशन पर जमीन खरीदी है. इस मामले को लेकर विभाग बेहद गंभीर है. विभाग की रडार पर कई मंत्री, विधायक, बिल्डर और व्यवसायी आ गए हैं.
डिप्टी कमिश्नर आलोक कुमार सिंह ने इस संबंध में पाँच नवंबर से ऐसे लोगों को नोटिस भी भेजना शुरू कर दिया है. विभाग ने जिम्मेदारी विभागों के अधिकारियों से इसका ब्योरा मांगा है. जिसमें साफ निर्देश हैं कि अगर सूचना देने में किसी तरह की लापरवाही की गई तो अधिकारी पर प्रति डिफॉल्ट 25 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा.